प्रतीकात्मक तस्वीर
तीन तलाक बिल आज राज्यसभा में पेश किया जाएगा. तीन तलाक देने की प्रथा पर रोकथाम के लिए बिल का मसौदा सरकार के तीन बड़े मंत्रियों की कमेटी ने तैयार किया है. लेकिन हैरत वाली बात ये है कि मुस्लिमों के तीन बड़े इदारे (संस्थाएं) और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बिल को सिरे से खारिज कर रहे हैं.
वो तीन तलाक पर बनने वाले कानून को भी मानने के लिए तैयार नहीं हैं. एक तरफा बन रहे कानून को वो सरकार की तानाशाही मानते हैं. न्यूज18 हिन्दी डॉट कॉम ने ऐसे ही तीन इदारों और बोर्ड से बात कर तीन तलाक पर आ रहे बिल के बारे में जानी उनकी राय.
‘तीन तलाक के मामले में सरकार तानाशाह हो रही है. मुस्लिम संस्थाओं से बात किए बगैर अकेले ही बिल का मसौदा तैयार कर लिया. हम ऐसे बिल को कतई नहीं मानेंगे. जिस तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना है. कोर्ट ने तीन तलाक को अपराध नहीं कहा है तो फिर सरकार किस अपराध के लिए बिल ला रही है. हम बिल देखने के बाद ही कोई कदम उठाएंगे.’
कमाल फारुकी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
हमें तीन तलाक पर बनने वाला कानून किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है. ये किस तरह का मजाक हो रहा है कि जिसके लिए आप कानून बना रहे हैं उसी से बात नहीं करेंगे. उलेमाओं और पर्सनल लॉ बोर्ड को आपने किनारे कर दिया. हम तीन तलाक पर उसी कानून को मानेंगे जो शरीयत और कुरान की रोशनी में बनेगा. हम ये बात सुप्रीम कोर्ट और लॉ कमीशन के सामने भी रख चुके हैं.
शाइस्ता अम्बर, ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड
हमें तीन तलाक पर बनने वाले कानून से कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन ऐतराज इस बात से है कि आप मुसलमानों के लिए कानून बना रहे हैं और उन्हीं को नजरअंदाज कर रहे हैं. मुसलमानों को आप हाशिय पर डाल रहे हैं. पर्सनल लॉ बोर्ड से भी सरकार ने बात नहीं की है. ये देश को बांटने वाली बातें हैं. हम इसके खिलाफ नहीं हैं. शरीयत में भी इसे गलत बताया गया है.
मुफ्ती हसन मंसूर, दारूल उलूम नादवातुल उलामा, लखनऊ
देश में मुसलमानों के तीन बड़े इदारे हैं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हैं और देशभर में उलामा-ए-इकराम भी हैं. सरकार को चाहिए कि पहले इन सब से बात करे. बिना इन सब से मशविरा किए बगैर तीन तलाक पर कानून नहीं बनना चाहिए. हमें पूरी उम्मीद है कि इस तरह से ये संसद में भी पास नहीं होगा. सरकार को पहले उनसे बात करनी होगी जिनके लिए ये कानून बन रहा है.
मुफ्ती राशिद, दारुल उलूम, देवबंद, सहारनपुर
तीन तलाक पर सरकार मुसलमानों को निशाना बना रही है. जानबूझकर शरीयत के साथ खिलवाड़ कर रही है. हमे तीन तलाक पर वो कानून मंजूर नहीं होगा जिसमे मुस्लिम इदारों, पर्सनल लॉ बोर्ड और उलामा-ए-इकराम की राय न ली जाए. दूसरी बात ये कि जब मामला कोर्ट से फाइनल हो चुका है तो सरकार इसमे क्यों दखल दे रही है. सरकार तीन तलाक को छोड़कर देश के विकास पर ध्यान दे.
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