चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि को मां कात्यायनी की पूजा करते हैं.
आज 27 मार्च को चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है. आज मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा करते हैं. मां कात्यायनी साहस और पराक्रम प्रदान करती हैं. आज मां कात्यायनी की पूजा के दिन चार शुभ योग आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बने हैं. आज का दिन मनोकामनाओं की पूर्ति के अच्छा है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी बताते हैं कि कात्यायन ऋषि ने मां दुर्गा को अपनी भक्ति से प्रस्नन किया और उनको अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने का वरदान मांगा था. उसके परिणाम स्वरूप मां दुर्गा कात्यायन ऋषि के यहां प्रकट हुईं. कात्यायन ऋषि के नाम से उनका नाम मां कात्यायनी पड़ा. आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा विधि, मुहूर्त, शुभ योग, मंत्र और महत्व.
देवी कात्यायनी पूजा का महत्व
मां कात्यायनी की आराधना करने से यश और कीर्ति में वृद्धि होती है. कठिन कार्यों में कामयाबी हासिल होती है. मां कात्यायनी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है. शुत्रओं पर विजय प्राप्त होती है.
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मां कात्यायनी पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 27 मार्च सोमवार को शाम 05 बजकर 27 मिनट तक है. आज आयुष्मान योग प्रात:काल से देर रात 11 बजकर 20 मिनट तक है, उसके बाद से सौभाग्य योग शुरू होगा. आज सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है. रवि योग सुबह 06 बजकर 18 मिनट से दोपहर 03 बजकर 27 मिनट तक है. अमृत सिद्धि योग योग दोपहर 03:27 बजे से कल सुबह 06 बजकर 16 मिनट तक है.
मां कात्यायनी के मंत्र
बीज मंत्र: क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
पूजा मंत्र: मां देवी कात्यायन्यै नमः
स्तुति मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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मां कात्यायनी की पूजा विधि
चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी को अक्षत्, फूल, सिंदूर, धूप, नैवेद्य, वस्त्र, दीप, गंध आदि चढ़ाएं. मां कात्यायनी को लाल रंग के फूल प्रिय हैं और उनको शहद का भोग पसंद है. पूजा में शहद का भोग लगाएं. इस दौरान पूजा मंत्र का उच्चारण करें. मां कात्यायनी की कथा का श्रवण करें. उसके बाद मां कात्यायनी की विधिपूर्वक आरती करें.
देवी कात्यायनी की आरती
जय जय अंबे, जय कात्यायनी। जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहां वरदाती नाम पुकारा।।
कई नाम हैं, कई धाम हैं। यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी। कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।
कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की।।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली। अपना नाम जपाने वाली।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो। ध्यान कात्यायनी का धरियो।।
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी।।
जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
मां कात्यायनी की जय, मां कात्यायनी की जय!
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