आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहते हैं. इसका प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा तिथि से होता है. प्रतिपदा तिथि कल सुबह 08:21 बजे से प्रारंभ हुई थी, जो आज सुबह 10:49 बजे समाप्त हो रही है. लेकिन उदयातिथि अनुसार, आज प्रतिपदा तिथि है, इसलिए आज से गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) का प्रारंभ हुआ है. दशकों बाद इस गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ कई शुभ योगों में हुआ है. इस बार मां दुर्गा (Maa Durga) नाव पर सवार होकर आ रही हैं. गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के अलावा 10 महाविद्याओं में मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता छिन्नैमस्ता, भुवनेश्वरी, मां धुम्रावती, त्रिपुर भैरवी, मातंगी मां बगलामुखी और कमला देवी की आराधना करते हैं.
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गुप्त नवरात्रि पर शुभ संयोगयोग
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति अति विशेष है. गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, विडाल योग और आडल योग बन रहा है. इसके अतिरिक्त पुनर्वसु नक्षत्र 01 जुलाई को 01:07 एएम तक है. ध्रुव योग सुबह 09:52 एएम तक रहेगा. ये सभी योग पूजा पाठ के लिए अच्छे हैं.
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पूरे 09 दिनों की गुप्त नवरात्रि
इस बार तिथियों का क्षय या अधिकता नहीं होने से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूरे 9 दिन तक रहेगी. 9 दिनों की नवरात्रि को अच्छे संकेतों वाला माना जाता है.
नाव पर आएगी माता की सवारी
इस बार गुप्त नवरात्रि का प्रारंभ बुधवार को हो रहा है, इसलिए मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आ रही हैं. इस वाहन पर माता के आगमन का अर्थ है कि आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होगी. गुप्त नवरात्रि का समापन शुक्रवार के दिन हो रहा है, इसका अर्थ यह है कि माता दुर्गा हाथी पर सवार होकर विदा होंगी. इससे वर्षा अच्छी होगी.
गुप्त नवरात्रि की कलश स्थापन कब करें?
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की घटस्थापना या कलश स्थापना आज प्रात: 05:26 बजे से किया जा सकता है. आप सुबह 06:43 बजे तक घट स्थापना कर सकते हैं. दोपहर का अभिजित मुहूर्त भी इसके लिए शुभ समय होता है. आप 11:57 एएम बजे से दोपहर 12:53 बजे के बीच भी घटस्थापना कर सकते हैं.
गुप्त नवरात्रि का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है. गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए विशेष साधना होती है. तंत्र साधना को गुप्त रूप से करते हैं, इससे विशेष कामनाओं की सिद्धि होती है. मोक्ष के लिए भी गुप्त नवरात्रि व्रत करते हैं. इसमें बेहद कड़े नियमों का पालन करना होता है.
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