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कामदेव के तीर से देवता भी नहीं रहते हैं वंचिंत, बंसत पंचमी के दिन होती है विशेष पूजा

कथाओं के अनुसार, बसंत और कामदेव एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र हैं.

कथाओं के अनुसार, बसंत और कामदेव एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र हैं.

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कामदेव का धनुष और तीर फूलों से बना हुआ है. वे जब भी तीर छोड़ते हैं तो देवता भी इससे बच नहीं पा ...अधिक पढ़ें

    माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन बसंत पंचमी का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. बसंत पंचमी के दिन विद्या, संगीत की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि इन दिन से कड़ाके की ठंड खत्म होती है और बसंत ऋतु की शुरुआत होती है.

    बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती के अलावा कामदेव की पूजा भी की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि कामदेव न हो तों दुनिया की उन्नति में रूक जाएगी. साथ ही मनुष्यों में प्रेम की भावना खत्म हो जाएगी. इसलिए हिंदू धर्म में कामदेव का विशेष स्थान दिया गया है.

    इस दिन से मौसम का रंग बदलता है और प्रकृति सौंदर्य से लबरेज हो जाती है.
    इस दिन से मौसम का रंग बदलता है और प्रकृति सौंदर्य से लबरेज हो जाती है.


    क्या है कामदेव की आराधना के पीछे की कहानी
    पौराणिक मान्यताओं और कथाओं के अनुसार, बसंत और कामदेव एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र हैं. इस दिन से मौसम का रंग बदलता है और प्रकृति सौंदर्य से लबरेज हो जाती है. वातावरण अनुकूल होने के कारण, मनुष्य के मन में हर्ष और उल्लास होता है.



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    प्रेम के लिए खास दिन...
    पौराणिक कथाओं के अनुसार, कामदेव का धनुष और तीर फूलों से बना हुआ है. वे जब भी तीर छोड़ते हैं तो देवता भी इससे बच नहीं पाते हैं. देवताओं पर भी कामदेव के तीर का असर होता है. कामदेव का तीर सीधा दिल पर वार करता है. इससे मनुष्य में प्रेम का भाव जागृत होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनुष्यों में प्रेम का भाव जागृत करने में कामदेव की पत्नी रति भी उनका साथ देती है. इसलिए बसंत पंचमी के दिन कामदेव के साथ माता रति की पूजा भी होती है.



    Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.

    Tags: Happy Saraswati Puja, Religion, Saraswati Puja

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