Chaitanya Mahaprabhu Jayanti 2022: भगवान श्रीकृष्ण के भक्त चैतन्य महाप्रभु का जन्म हिन्दू कैलेंडर के आधार पर फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि (Phalguna Purnima) को हुई थी. इस साल फाल्गुन पूर्णिमा 18 मार्च दिन शुक्रवार को है. ऐसे में चैतन्य महाप्रभु की जयंती 18 मार्च को मनाई
जाएगी. बंगाल के नादिया में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे चैतन्य महाप्रभु ईश्वर की भक्ति में पाखंड और अंधविश्वास के घोर विरोधी थे. चैतन्य महाप्रभु के जन्म से पूर्व उनके माता-पिता को 8 बेटियां हुई थीं, लेकिन उनमें से कोई जीवित नहीं रहा. चैतन्य महाप्रभु अपने माता-पिता की 9वीं संतान थे. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, चैतन्य महाप्रभु का जन्म (Birth Of Chaitanya Mahaprabhu) 18 फरवरी 1486 में हुआ था. आइए जानते हैं चैतन्य महाप्रभु से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
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1. चैतन्य महाप्रभु के माता का नाम शचीदेवी और पिता का नाम पं. जगन्नाथ मिश्र था. इनके बचपन का नाम विश्वरुप था, लेकिन माता पिता प्यार से निभाई कहते थे.
2. कहा जाता है कि चैतन्य महाप्रभु के पिता से एक ज्योतिषाचार्य ने कहा था कि यह बालक आगे चलकर एक महान व्यक्ति बनेगा. वही निभाई कृष्ण भक्त चैतन्य महाप्रभु के नाम से विख्यात हुए.
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3. चैतन्य महाप्रभु ने दो विवाह किए थे. उनका पहला विवाह 10 साल की उम्र में हुआ था. उनकी पहली पत्नी लक्ष्मीप्रिया देवी थीं. सांप के काटने से उनकी मृत्यु हो गई थी.
4. इसके बाद इनका दूसरा विवाह विष्णुप्रिया से हुआ. यह इनकी दूसरी पत्नी थीं.
5. किशोरावस्था में ही चैतन्य महाप्रभु के पिता का निधन हो गया. वे अपने पिता का श्राद्ध करने के लिए गया गए थे. वहां पर कुछ साधुओं के संपर्क में आने से वे श्रीकृष्ण भक्ति में रमने लगे.
6. उसके बाद से चैतन्य महाप्रभु सदा ही श्रीकृष्ण भक्ति में लीन रहने लगे. उनकी कृष्ण भक्ति की चर्चा चारों ओर होने लगी. इस वजह से उनके कई अनुयायी बन गए.
7. बताया जाता है कि चैतन्य महाप्रभु ने 24 साल की उम्र गृहस्थ जीवन का त्याग कर दिया और संन्यासी हो गए.
8. वे अपने शिष्यों के साथ भगवान श्रीकृष्ण के कीर्तन करते थे. हरे श्रीकृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण—कृष्ण, हरे हरे… कीर्तन इनकी ही देन है.
9. चैतन्य महाप्रभु ने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की नींव रखी थी. उन्होंने सामाजिक एकता पर बल दिया. जात-पात, छुआछूत, अंधविश्वास, पाखंड आदि का विरोध किया. सभी धर्मों में एकता की बात की. उनके जीवन के अंतिम कुछ वर्ष वृंदावन में व्यतीत हुए.
10. कुछ लोग चैतन्य महाप्रभु को श्रीकृष्ण का अवतार मानते थे. सन 1533 में 47 साल की उम्र में चैतन्य महाप्रभु का निधन जगन्नाथपुरी में हुआ.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news 18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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