रिपोर्ट: परमजीत कुमार
देवघर: इस साल चैत्र नवरात्र 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं. हिन्दू धर्म में नवरात्रि का अपना अलग महत्व है. नवरात्रि के दिनों मे 9 दिनों तक माता की पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. इस साल माता का आगमन नाव पर हो रहा है. पूजा के बाद माता हाथी पर प्रस्थान करेंगी.
पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नवरात्रि का आरंभ होता है. देवघर के ज्योतिषाचार्य पंडित कन्हैया लाल मिश्रा बताते हैं की नाव पर माता का आगमन शुभ संयोग है. इसके अलावा नौ दिनों की पूजा के बाद माता हाथी पर प्रस्थान करेंगी. इसका भी महत्व है.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त:
इस साल 22 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो रही है. घरों व मंदिरों में 22 तारीख को कलश स्थापना की जाएगी. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 तारीख की रात्रि 10 बजकर 52 मिनट से होगी. ज्योतिषाचार्य कन्हैया लाल मिश्रा बताते हैं कि 22 तारीख को प्रातः 08 बजकर 46 मिनट से लेकर 10 बजकर 42 मिनट तक कलश स्थापना कर सकते हैं. यह मुहूर्त कलश स्थापना के लिए शुभ रहेगा.
इस समय न करें स्थापना
चैत्र नवरात्रि में घरों में कलश स्थापना किया जाता है. इसके लिए कई समय शुभ होते हैं तो कई अशुभ. कन्हैया लाल मिश्रा ने बताया कि दिन के 12 बजे से लेकर 01 बजकर 10 मिनट तक कलश स्थापना न करें. यह समय कलश स्थापना के लिए ठीक नहीं है.
चैत्र नवरात्रि का महत्व
साल भर में चार नवरात्र मनाई जाती है, जिनमें दो गुप्त नवरात्रि है. इन सभी का अपना-अपना महत्व है. वहीं, चैत्र नवरात्र को लेकर बताया गया कि इस नवरात्र में माता की पूजा अर्चना करने से मानसिक स्थिति मजबूत होती है. साथ ही आध्यात्मिक इच्छा की भी पूर्ति होती है. चैत्र नवरात्रि के दौरान साधना और व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
माता का आगमन और प्रस्थान
इस साल चैत्र नवरात्रि में ब्रह्म योग का शुभ संयोग बन रहा है. माता का आगमन नाव पर होने जा रहा है. आगमन के साथ 9 दिनों के बाद माता फिर से प्रस्थान करेंगी. इस साल माता हाथी पर प्रस्थान करेंगी. जिससे इस साल लगातार बारिश होने के संभावना है.
चैत्र नवरात्रि पूजा विधि
नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है. प्रतिपदा तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पूजा स्थल की साफ-सफाई करके कलश स्थापना करें. इस बात का खास ध्यान दें कि कलश स्थापना के समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में होने चाहिए. साथ ही कलश को ईशान कोण में रखें. इसके अलावा नौ दिनों तक कलश के पास पाठ करें और उसकी पूजा करें.
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Tags: Chaitra Navratri, Deoghar news, Jharkhand news
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