चैत्र नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी और महानवमी को हवन करते हैं.
आज महानवमी है. चैत्र नवरात्रि का नौवां दिन है. चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी, महानवमी और दशमी के दिन हवन करने का विधान है. हवन करने से घर में सुख, शांति, शुद्धता, सकारात्मकता आती है. नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, घर के दोष दूर होते हैं. परिवार पर मां दुर्गा की कृपा होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हवन के माध्यम से देवी और देवताओं को उनका अंश मिलता है, जिससे वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. हवन के समय में नवग्रहों के लिए भी आहुति दी जाती है, इससे नवग्रहों के दोष दूर होते हैं और वे शुभ फल देते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं नवरात्रि हवन की विधि और सामग्री के बारे में.
चैत्र नवरात्रि हवन मुहूर्त 2023
चैत्र नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी और महानवमी को हवन किया जाता है. 29 मार्च को दुर्गा अष्टमी के दिन शोभन योग और रवि योग बने हैं. सुबह में लाभ-उन्नति मुहूर्त 06:15 से 07:48 बजे, अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 07:48 से 09:21 बजे और शुभ-उत्तम मुहूर्त 10:53 से 12:26 बजे तक है. वहीं महानवमी को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बना हुआ है. दुर्गा अष्टमी और महानवमी को सुबह में आप नवरात्रि का हवन कर सकते हैं.
नवरात्रि की हवन सामग्री
लोहे का एक हवन कुंड, एक सूखा नारियल, काला तिल, कपूर, चावल, जौ, गाय का घी, लोभान, शक्कर, गुग्गल, आम, चंदन, नीम, बेल एवं पीपल की सूखी लकड़ी, इलायची, लौंग, पलाश और गूलर की छाल, मुलैठी की जड़, अश्वगंधा, ब्राह्मी, कलावा या रक्षासूत्र, हवन पुस्तिका, हवन सामग्री, धूप, अगरबत्ती, रोली, पान के पत्ते, मिष्ठान, 5 प्रकार के फल, गंगाजल, चरणामृत, शहद, सुपारी, फूलों की माला आदि.
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नवरात्रि हवन की विधि
आपके घर दुर्गा अष्टमी या महानवमी को, जिस भी दिन हवन होता है, उस दिन प्रात: मां दुर्गा के महागौरी या सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा करें. उसके बाद नवरात्रि का हवन करें. हवन के बाद आरती से समापन होता है. पूजा स्थान पर या घर के आंगन में हवन की व्यवस्था करें. एक वेदी बनाकर वहां पर हवन कुंड रखें. उसके बाद सभी हवन सामग्री जैसे काला तिल, चावल, जौ, गाय का घी, लोभान, गुग्गल, कपूर, पलाश और गूलर की छाल, मुलैठी की जड़, अश्वगंधा, ब्राह्मी आदि को मिलाकर रख लें.
अब आप एक आसन पर बैठ जाएं और अपने सिर पर रुमाल रख लें. हवन कुंड में सबसे नीचे गोबर की उप्पलें और कपूर रख दें. फिर आम, चंदन, नीम, बेल एवं पीपल की सूखी लकड़ियां रखें. फिर कपूरे और उप्पलों की मदद से हवन की अग्नि को जलाएं. उसके बाद मंत्र पढ़ते हुए क्रमश: हवन सामग्री की आहुति दें.
सबसे अंत में सूखे नारियल पर रक्षासूत्र लपेट दें. उस पर पान का पत्ता, पूड़ी, खीर, मिठाई, फल, सुपारी, लौंग आदि रखें. अब नारियल समेत सभी सामग्री को हवन के बीचोबीच स्थापित कर दें. अब सबसे अंत में मां दुर्गा की आरती करें.
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हवन मंत्र
ओम आग्नेय नम: स्वाहा, ओम गणेशाय नम: स्वाहा, ओम गौरियाय नम: स्वाहा, ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा, ओम दुर्गाय नम: स्वाहा, ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा, ओम हनुमते नम: स्वाहा, ओम भैरवाय नम: स्वाहा, ओम कुल देवताय नम: स्वाहा, ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा, ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा, ओम विष्णुवे नम: स्वाहा, ओम शिवाय नम: स्वाहा.
ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमस्तुति स्वाहा.
ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा.
ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा.
ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते.
ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा.
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