रिपोर्ट- विक्रम कुमार झा
पूर्णिया. चैत नवरात्रि में महाष्टमी का काफी विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर पूजा करती हैं. पूर्णिया के पंडित दयानाथ मिश्र कहते हैं कि महाअष्टमी का पर्व महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए करती हैं. जबकि इस दिन कुंवारी कन्याएं अपने भावी पति के लिए व्रत करती हैं. साथ ही कहा कि सिद्धि करने के लिए यह दिन खास होता है. जबकि कई मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है.
ज्योतिषाचार्य दयानंद मिश्र कहते हैं कि नवरात्रि में अष्टमी बहुत खास होता है. इस व्रत को महिलाएं निर्जला उपवास रखकर करती हैं. इसी दिन महानिशा पूजा और सिद्धि पूजा भी होती है. इस व्रत को महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए इस व्रत को करती हैं. माता गौरी सुहाग देती हैं. नवरात्रि में महागौरी की पूजा और विशेष आराधना की जाती है.
तांत्रिक सिद्धि के लिए खास दिन है महाअष्टमी
पंडित दयानाथ मिश्र कहते हैं कि अष्टमी की रात तांत्रिक सिद्धि करने के लिए तांत्रिक पूरी रात जागकर ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः’ का जाप कर मां दुर्गा को प्रसन्न कर अपनी सिद्धि पूरी करते हैं. साथ ही साथ लोग अष्टमी पर्व के बाद पूजा ध्यान में लगते हैं. देर रात्रि तक महानिशा पूजा के लिए जागते हैं. इस कारण कई लोग अष्टमी को रात्रि जागरण भी कहते हैं.
महाअष्टमी का शुरू होने का समय
पंडित दयानाथ मिश्र के मुताबिक, 28 मार्च को रात्रि के 9 बजे अष्टमी प्रवेश करेगी. हालांकि महिलाएं 29 को अष्टमी व्रत रख पायेंगी. विशेष लाभ के लिए सवेरे से लेकर संध्या तक उपवास में रहना चाहिए और रात में ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चेनमः’ मंत्र का लगातार जाप करने से माता दुर्गा अधिक प्रसन्न होती हैं. उनकी कृपा सदैव बनी रहती है.
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