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चैत्र नवरात्रि 2023: कौन हैं मां ब्रह्मचारिणी? इनकी पूजा से होंगे 5 फायदे, मंगल ग्रह का दोष भी होगा दूर

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है.

चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है.

maa brahmacharini puja benefits: आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन और चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है. आज मां ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मंगल ग्रह का दोष खत्म होता है.

आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन और चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है. आज मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं. मां ब्रह्मचारिणी को सरल, सौम्य और शांत माना जाता है. वे अपने तप, त्याग, दृढ़ इच्छाशक्ति के लिए जानी जाती हैं. आप उनके स्वरूप को देखें तो वे सफेद वस्त्र पहनती हैं, हाथ में जप माला और कमंडल धारण करती हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से मंगल ग्रह का दोष खत्म होता है. नवरात्रि में 9 देवियों की पूजा करने से नवग्रह दोष दूर होता है, सभी ग्रह अनुकूल फल देते हैं. संकटों से रक्षा होती है. आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी कौन हैं और उनकी पूजा से होने वाले 5 फायदे के बारे में.

मां ब्रह्मचारिणी कौन हैं?
पौराणिक क​था के अनुसार, सती के आत्मदाह कर लेने के बाद माता पार्वती का जन्म हुआ. मां पार्वती ने शिव जी से विवाह के लिए हजारों साल तक कठोर तपस्या ​की. उस दौरान वे ब्रह्मचर्य, त्याग, तपस्या और दृढ़ निश्चय वाली देवी थीं. उनका वह स्वरूप ही मां ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है. उनको तपश्चारिणी भी कहते हैं.

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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के 5 फायदे
1. मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से व्यक्ति कठिन से कठिन हालात में भी नहीं घबराता है. उसकी इच्छाशक्ति दृढ़ हो जाती है.

2. कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है. इसके लिए भले ही कठोर परिश्रम करना पड़े. व्यक्ति अपने मार्ग से विचलित नहीं होता है.

3. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर त्याग, तपस्या, संयम, ब्रह्मचर्य, सदाचार आदि जैसे गुणों का विकास होता है.

4. मां ब्रह्मचारिणी के आशीर्वाद से व्यक्ति के समस्याओं का अंत होता है. कष्ट दूर होते हैं.

5. यदि आपकी कुंडली में मंगल दोष है तो मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से वह दूर हो जाएगा.

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शिवजी को प्रसन्न करने के लिए हजारों वर्षों तक की तपस्या
कथा के अनुसार, माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु से उनकी शादी करना चाहते थे. तब नारद जी ने माता पार्वती को भगवान शिव की पूजा करने को कहा और उनके जन्म का उद्देश्य बताया. तब माता पार्वती घने जंगल के बीच जाकर ​तपस्या करने लगीं. वे भगवान शिव को पति स्वरूप में पाना चाहती थीं.

मूसलाधार वर्षा, तेज धूप, आंधी, तूफान जैसे कठिन हालातों में भी उन्होंने अपनी तपस्या नहीं छोड़ी. वे दृढ़ निश्चय के साथ तप करती रहीं. इस दौरान उन्होंने ब्रह्मचर्य के कठोर नियमों का पालन किया. कई वर्षों तक फल, शाक और बेलपत्र खाकर तप करती रहीं. उपवास, जप और तप से उनका शरीर काफी कमजोर हो गया. फिर भी शिवजी को पाने की इच्छा कम नहीं हुई.

आखिरकार मां ब्रह्मचारिणी की तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने उनको मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दिया. जिसके बाद शिव और पार्वती जी का विवाह हुआ.

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