रिपोर्ट – रामकुमार नायक
महासमुंद. देश में चैत्र नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. चैत्र नवरात्रि की तीसरी शक्ति है मां चंद्रघंटा. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. इन्हें पापों की विनाशिनी कहा जाता है. मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना से साहसी और पराक्रमी बनने का वरदान मिलता है. इस साल मां चंद्रघंटा की पूजा 24 मार्च (शुक्रवार) के दिन हो रही है.
महासमुंद के महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि मां दुर्गा का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा है. युद्ध मुद्रा में सिंह पर विराजमान मां चंद्रघंटा के हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण करती हैं. इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है, इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती है. चंद्रघंटा तंभ साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती है और ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है. शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा ने राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था. इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं.
इस विधि से करें मां की पूजा
महामाया मंदिर केपंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि सुबह स्नान करने के बाद मां की पूजा से पहले सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें. उसके बाद मां चंद्रघंटा का ध्यान कर प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं. अगर तस्वीर है तो उसको स्वच्छ कपड़े से साफ करें. इसके बाद मां चंद्रघंटा को धूप, दीप, रोली, चंदन, अक्षत अर्पित करें. मां को कमल और शंखपुष्पी के फूल अर्पित करें. ये फूल उनको प्रिय हैं. पूजा के बाद घर में शंख और घंटा जरुर बजाएं. मां को दूध या फिर दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद हाथों में फूल लेकर मां के मंत्र का एक माला जाप में व्रत कथा का पाठ कर आरती करें. ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
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