प्रदोष व्रत में शाम के समय शिव पूजा करते हैं.
चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत आज 19 मार्च दिन रविवार को है. यह रवि प्रदोष व्रत उत्तम सेहत प्रदान करता है. जो लोग भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में विधि विधान से करते हैं और व्रत रखते हैं, वे रोग मुक्त हो जाते हैं. भोलेनाथ के आशीर्वाद से मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आज रवि प्रदोष के दिन तीन शुभ योग सिद्ध, साध्य और द्विपुष्कर योग बने हैं. आज पंचक और भद्रा भी है. आज शाम के समय में महादेव की पूजा की जाती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं प्रदोष व्रत के पूजन मुहूर्त, शुभ योग और पूजा विधि के बारे में.
चैत्र प्रदोष व्रत 2023 मुहूर्त
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ: 19 मार्च, रविवार, सुबह 08 बजकर 07 मिनट से
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का समापन: 20 मार्च, सोमवार, प्रात: 04 बजकर 55 मिनट पर
प्रदोष पूजा मुहूर्त: आज, शाम 06 बजकर 31 मिनट से रात 08 बजकर 54 मिनट तक
द्विपुष्कर योग: आज, सुबह 06 बजकर 27 मिनट से सुबह 08 बजकर 07 मिनट तक
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सिद्ध योग: आज, सुबह से लेकर रात 08 बजकर 07 मिनट तक
साध्य योग: आज, रात 08 बजकर 07 मिनट से अगले दिन सुबह तक
पंचक: आज, सुबह 11 बजकर 17 मिनट से पूरे दिन तक
भद्रा: त्रयोदशी तिथि में 20 मार्च को सुबह 04:55 से सुबह 06:26 बजे तक
प्रदोष व्रत और पूजा विधि
1. आज सुबह स्नान आदि से निवृत होकर साफ कपड़े पहनें. फिर हाथ में जल लेकर प्रदोष व्रत और शिव पूजा का संकल्प लें. पंचक और भद्रा है, लेकिन शिव पूजा कर सकते हैं.
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2. दिनभर व्रत रहें. फलाहार करें. शिव पुराण की कथा सुनें. शिव भक्ति और भजन में समय व्यतीत करें.
3. शाम को शुभ मुहूर्त में किसी शिव मंदिर या फिर घर पर ही शिव जी की पूजा करें. शिव जी का गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें. उसके बाद शिव जी को बेलपत्र, भांग, मदार पुष्प, धतूरा, फूल, माला, शमी के पत्ते, अक्षत्, मिष्ठान, शहद आदि अर्पित करें.
4. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. फिर रवि प्रदोष व्रत की कथा सुनें. शिव चालीसा का पाठ करें. पूजा के अंत में आरती करें. फिर मनोकामना पूर्ति के लिए शिव जी से प्रार्थना करें.
5. रात्रि जागरण करने के बाद अगली सुबह पूजा पाठ करने के बाद दान दें. फिर पारण करके व्रत को पूरा करें.
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Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva
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