होम /न्यूज /धर्म /आज रवि योग और भद्रा में चैत्र विनायक चतुर्थी, जान लें मुहूर्त और पूजा विधि, न करें एक गलती

आज रवि योग और भद्रा में चैत्र विनायक चतुर्थी, जान लें मुहूर्त और पूजा विधि, न करें एक गलती

हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी व्रत रखते हैं. (Photo: pixabay)

हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी व्रत रखते हैं. (Photo: pixabay)

Chaitra Vinayaka Chaturthi 2023 Puja Vidhi: चैत्र माह की विनायक चतुर्थी व्रत आज 25 मार्च शनिवार को है. रवि योग, भरणी नक ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

रवि योग, भरणी नक्षत्र, विष्टि करण में विनायक चतुर्थी व्रत है.
आप दुर्वा की 21 गांठ गणेश जी के मस्तक पर चढ़ाएं.

चैत्र माह की विनायक चतुर्थी व्रत आज 25 मार्च शनिवार को है. रवि योग, भरणी नक्षत्र, विष्टि करण में विनायक चतुर्थी व्रत है. आज के दिन भद्रा भी सुबह से लगी हुई है. ऐसे में विनायक चतुर्थी व्रत रवि योग और भद्रा में है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, आज की भद्रा सुबह 06:20 बजे से लग गई है, हालांकि य​​ह पृथ्वी लोक की भद्रा नहीं है, इसका वास स्वर्ग में है. मान्यताओं के आधार पर स्वर्ग की भद्रा का दुष्प्रभाव धरती पर नहीं पड़ता है. रवि योग में व्रत और पूजा का उत्तम फल मिलता है. विनायक चतुर्थी व्रत पूजा से पूर्व सूर्य देव को जल अर्पित अवश्य करें. आपको लाभ होगा. आइए जानते हैं चैत्र विनायक चतुर्थी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में.

चैत्र विनायक चतुर्थी 2023 मुहूर्त
चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि का शुभारंभ: 24 मार्च, शुक्रवार, शाम 04 बजकर 59 मिनट से
चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि का समापन: 25 मार्च, शनिवार, शाम 04 बजकर 23 मिनट पर
गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त: आज, सुबह 11 बजकर 14 मिनट से दोपहर 01:41 बजे तक
रवि योग: सुबह 06 बजकर 20 मिनट से दोपहर 01 बजकर 41 मिनट तक
भद्रा: सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शाम 04 बजकर 23 मिनट तक

यह भी पढ़ें: चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन, आज करें मां कूष्मांडा की पूजा, जान लें पूजन विधि, मंत्र

विनायक चतुर्थी व्रत और पूजा विधि
आज प्रात: स्नान के बाद आप विनायक चतुर्थी व्रत और गणेश पूजा का संकल्प करें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में गणेश जी की मूर्ति पूजा स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा में स्थापित करें. इसके बाद गणेश जी का जलाभिषेक करें. उनको वस्त्र, फल, फूल, चंदन, अक्षत्, सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्य, माला, यज्ञोपवीत आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम गं गणपतये नमो नम: मंत्र का उच्चारण करें.

अब आप दुर्वा की 21 गांठ गणेश जी के मस्तक पर चढ़ाएं. गणपति को शमी के पत्ते भी चढ़ा सकते हैं. इसके बाद गणपति बप्पा को मोदक या मोतीचूर के लड्डुओं का भोग लगाएं.​ फिर गणेश चालीसा का पाठ करें. विनायक चतुर्थी व्रत कथा सुनें. उसके बाद कपूर या घी वाले दीपक से गणेश जी की विधिपूर्वक आरती करें.

पूजा के अंत में गणेश जी से संकटों को दूर करने और मनोकामनाओं की पूर्ति करने का आशीर्वाद मांगें. गणेश जी के आशीर्वाद से आपके जीवन में सुख, समृद्धि, ज्ञान और खुशहाली आएगी.

यह भी पढ़ें: अप्रैल 2023 में होगा बड़ा राशि परिवर्तन, 12 साल बाद गुरु का मेष में गोचर, जानें 12 राशियों का भाग्यफल

मनोकामनापूर्ति गणेश मंत्र
ओम गं गणपतये नमो नम: गणेश जी का मनोकामनापूर्ति मंत्र है. आज के दिन आप इस मंत्र का कम से कम 5 माला जाप करते हैं तो आप पर गणेश जी की विशेष कृपा होगी. इस मंत्र में गणेश जी का बीज मंत्र गं भी समाहित है. आप जिस भी मनोकामना से इस मंत्र का जाप करते हैं, गणपति बप्पा आपके उस कार्य को सफल करेंगे.

विनायक चतुर्थी व्रत में न करें एक गलती
विनायक चतुर्थी व्रत वाले दिन चंद्रमा को न देखें. इस दिन चंद्रमा को देखने से व्यक्ति पर गलत आरोप लगते हैं. आपने जो गलत कार्य नहीं किया है, उसका आरोप आप पर लग सकता है, इसलिए विनायक चतुर्थी व्रत में चंद्रमा दर्शन वर्जित है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी व्रत में चंद्रमा की पूजा के बिना व्रत पूरा नहीं होता है.

Tags: Dharma Aastha, Lord ganapati

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें