चंपा षष्ठी के दिन भगवान शिव और कार्तिकेय की पूजा करते हैं.
Champa Shashti 2022: आज 29 नवंबर दिन मंगलवार को चंपा षष्ठी व्रत है. हर साल यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी तिथि को रखा जाता है. इसे बैंगन छठ भी कहते हैं. चंपा षष्ठी व्रत दो शब्दों से बना है. एक चंपा और दूसरा षष्ठी. आज के दिन पूजा में भगवान कार्तिकेय को चंपा का फूल अर्पित किया जाता है और षष्ठी तिथि होने के कारण इस व्रत का नाम चंपा षष्ठी पड़ा है. आज पूजा में बैंगन चढ़ाते हैं, इसलिए इसे बैंगन छठ कहा जाता है. आज के दिन भगवान शिव के खंडोबा स्वरूप की पूजा करते हैं. यह व्रत महाराष्ट्र, कर्नाटक में रखा जाता है. वहां पर किसान खंडोबा को भगवान शिव का स्वरूप मानते हैं, जिनकी पूजा किसानों के देवता के रूप में होती हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं चंपा षष्ठी के मुहूर्त, बैंगन छठ की कथा और पूजा विधि के बारे में.
चंपा षष्ठी 2022 मुहूर्त
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि का प्रारंभ: 28 नवंबर, सोमवार, दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से
मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि का समापन: आज, मंगलवार, सुबह 11 बजकर 04 मिनट पर
सुबह में पूजा का मुहूर्त: 06 बजकर 45 मिनट से 08 बजकर 05 मिनट तक
दोपहर में पूजा का मुहूर्त: 12 बजकर 06 मिनट से 02 बजकर 46 मिनट तक
ध्रुव योग: आज सुबह से लेकर दोपहर 02 बजकर 53 मिनट तक
रवि योग: सुबह 06 बजकर 55 मिनट से सुबह 08 बजकर 38 मिनट तक
द्विपुष्कर योग: सुबह 11 बजकर 04 मिनट से कल सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक
चंपा षष्ठी व्रत और पूजा विधि
आज शुभ मुहूर्त में भगवान खंडोबा की पूजा करते हैं. इस दौरान शिवलिंग का गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करते हैं. उसके बाद उस पर बेलपत्र, फूल, गुलाल, बैंगन, बाजरा, खांड आदि अर्पित किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूजा पाठ करने से दुख दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. भगवान शिव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. पूजा के बाद बाजरे की रोटी और बैंगन का भर्ता प्रसाद के रूप में बांटते हैं.
वहीं भगवान कार्तिकेय की पूजा में विशेष तौर पर चंपा का फूल चढ़ाते हैं. वे अपने भक्तों को सुख, समृद्धि और मोक्ष प्रदान करते हैं. भविष्य पुराण के अनुसार, भगवान कार्तिकेय चंपा षष्ठी पर देवताओं की सेना के सेनापति बने थे. वे इस तिथि को ही अपने परिवार से नाराज होकर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में जाकर रुके थे.
बैंगन छठ की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, मणि-मल्ह नामक दो असुरों से अपने भक्तों की रक्षा के लिए भगवान शिव प्रकट हुए थे. मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को खंडोबा नामक स्थान पर महादेव ने भैरव स्वरूप धारण करके मणि-मल्ह का वध कर दिया. इस कारण उनको भगवान खंडोबा कहा जाता है. हर साल इस तिथि को बैंगन छठ मनाते हैं और शिव जी की पूजा करते हैं.
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