भगवान दत्तात्रेय की जयंती पर त्रिदेवों की पूजा होती है., Image- Canva
Dattatreya Jayanti 2022: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष महीने का बड़ा महत्व होता है. मार्गशीर्ष माह में विभिन्न व्रत-त्योहार आते हैं. इसी तरह हर वर्ष मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है. इस वर्ष दत्तात्रेय जयंती 07 दिसंबर 2022 को है. दत्तात्रेय जयंती त्रिदेवों के अवतार माने गए भगवान दत्तात्रेय को समर्पित है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि दत्तात्रेय जयंती पर भगवान दत्तात्रेय की विशेष उपासना की जाती है, जिससे त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद एक साथ प्राप्त होता है. आइये जानते हैं दत्तात्रेय जयंती क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व क्या है.
भगवान दत्तात्रेय की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय माता पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती को अपने पतिव्रत धर्म का अभिमान हो गया था. नारद मुनि देवियों के इस अभिमान को तोड़ना चाहते थे, इसलिए वो तीनों के सामने माता अनसूया के पतिव्रत धर्म का गुणगान करने लगे. इससे तीनों देवियों को माता अनसूया से ईर्ष्या होने लगी और उन्होंने त्रिदेवों से माता अनसूया का पतिव्रत धर्म तोड़ने के लिए कह दिया.
त्रिदेव माता अनसूया का व्रत तोड़ने के लिए पहुंचे परंतु इसकी भनक माता अनसूया को पहले ही लग गई. जब त्रिदेव अनसूया के पास पहुंचे तो माता ने उन पर अत्रि ऋषि के चरणों का जल छिड़क दिया, जिससे तीनों देव बाल अवस्था में पहुंच गए. माता अनसूया तीनों को संतान की तरह पालने लगीं.
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इसलिए मनाई जाती है दत्तात्रेय जयंती
इसके बाद तीनों देवियों को अपनी गलती का अहसास हुआ और माता अनसूया के पास पहुंचीं और माफी मांगी. माता अनसूया ने कहा कि इन तीनों ने मेरा दूध पीया है, इसलिए इनको बालरूप में ही रहना होगा. इसके बाद तीनों देवियों ने अपने-अपने अंश से एक नया अंश पैदा किया, जिसका नाम दत्तात्रेय रखा. इस तरह दत्तात्रेय की उत्पत्ति हुई. मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय ने मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को जन्म लिया था. इस वजह से इस दिन दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है.
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Tags: Dharma Aastha, Religion
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