दिवाली या दीपावली (Diwali 2020) हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है. यह 5 दिवसीय पर्व है, जो धनतेरस से भाई दूज 5 दिनों तक चलता है. दिवाली अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता पर्व है. हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली पर मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) और श्रीगणेश (Lord Ganesha) की पूजा करने का विधान है. इस बार दिवाली का पर्व 14 नबंवर 2020 (शनिवार) को मनाया जाएगा. पुराणों के अनुसार, दीपावली के दिन ही श्रीराम (Lord Rama) अयोध्या लौटे थे. भगवान राम के आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने उनका दीप जलाकर स्वागत किया था. सुख-समृद्धि की कामना के लिए दिवाली से बढ़कर कोई त्योहार नहीं होता इसलिए इस अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज जैसे त्योहार दिवाली के साथ-साथ ही मनाए जाते हैं.
दिवाली का महत्व
पुराणों के अनुसार, त्रेतायुग में जब भगवान श्रीराम रावण का वध कर वापस अयोध्या लौटे थे तब वहां के लगों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था. इसी स्वागत को हर वर्ष लोग दिवाली के त्योहार के रूप में मनाते हैं. दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस दिन घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है. साथ ही पूरे घर को दीपों से सजाकर मां लक्ष्मी के आगमन का स्वागत किया जाता है. भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा के बाद खील और बतासे का प्रसाद बांटकर एक दूसरे को दिवाली की शुभकामनाएं दी जाती हैं. मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से मां लक्ष्मी घर में वास करती हैं. इससे व्यक्ति के घर में धन की कोई कमी नहीं रहती है.
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5 दिवसीय दिवाली पर्व इस प्रकार होंगे-
-12 नवंबर 2020 (गुरुवार) गोवत्स द्वादशी, वसु बरस.
-13 नवंबर 2020 (शुक्रवार) को धनतेरस, धन्वंतरि त्रयोदशी, यम दीपदान, काली चौदस, हनुमान पूजा.
-14 नवंबर 2020 (शनिवार) को नरक चतुर्दशी, दिवाली, महालक्ष्मी पूजन.
-15 नवंबर 2020 (रविवार) को गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, बलि प्रतिपदा.
-16 नवंबर 2020 (सोमवार) को प्रतिपदा, यम द्वितिया, भैया दूज, भाईदूज.
दीपावली 2020 की शुभ तिथि और पूजन मुहूर्त
दिवाली की तिथि- 14 नबंवर 2020
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 14 नबंवर 2020 दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त- अगले दिन सुबह 10 बजकर 36 मिनट तक (15 नबंवर 2020)
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 28 मिनट से शाम 7 बजकर 24 मिनट तक (14 नबंवर 2020)
प्रदोष काल मुहूर्त- शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 8 बजकर 07 मिनट तक
वृषभ काल मुहूर्त- शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 7 बजकर 24 मिनट तक
दिवाली पर ध्यान रखें ये खास बातें
-लक्ष्मी पूजन की सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.
-मां लक्ष्मी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय हैं. फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं. इवका भोग जरूर लगाएं.
-सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र का इस्तेमाल महालक्ष्मी पूजन में जरूर करें.
-अनाज में चावल, मिठाई में घर में शुद्ध घी से बनी केसर की मिठाई या हलवा नैवेद्य में जरूर रखें.
-व्यावसायिक प्रतिष्ठान, गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करें.
-लक्ष्मी पूजन रात के 12 बजे करने का विशेष महत्व होता है.
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-धन की देवी लक्ष्मी जी को प्रसन्न करना है तो दीयों के प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल के तेल का इस्तेमाल करें.
-रात को 12 बजे दीपावली पूजन के बाद चूने या गेरू में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल तथा छाज (सूप) पर तिलक करें.
-दीपकों का काजल स्त्री और पुरुष अपनी आंखों पर जरूर लगाएं.
-दीपावली के दूसरे दिन सुबह 4 बजे उठकर पुराने छाज में कूड़ा रखकर उसे दूर फेंकने के लिए ले जाते समय 'लक्ष्मी-लक्ष्मी आओ, दरिद्र-दरिद्र जाओ' कहने की मान्यता है. इससे घर का दारिद्रय दूर होता है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)undefined
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Tags: Diwali, Diwali Celebration, Lord Ram, Lord rama, Religion
FIRST PUBLISHED : October 14, 2020, 11:04 IST