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Diwali 2022: दिवाली से पहले यूं करें मंदिर और मूर्तियों की सफाई, मिलेगा जप-तप जितना फल

घर के मंदिर की सफाई करना भगवान की सेवा करने के समान है.

घर के मंदिर की सफाई करना भगवान की सेवा करने के समान है.

मंदिर की सफाई को यज्ञ, जप व अनुष्ठान के समान माना गया है. स्वच्छ व शुद्ध स्थान पर ही मां लक्ष्मी का वास होता है. मंदिर ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

मंदिर की सफाई को यज्ञ, जप व अनुष्ठान के समान माना गया है.
स्वच्छ व शुद्ध स्थान पर ही मां लक्ष्मी का वास माना जाता रहा है.
मंदिर व मूर्ति की सफाई करते समय कुछ नियमों का हमेशा ध्यान रखना चाहिये.

Diwali 2022: दिवाली पर मां लक्ष्मी के स्वागत में हम पूरे घर की सफाई करते हैं. फिर चाहे वह कमरा हो, रसोई हो या मंदिर हो. मान्यता है कि मां लक्ष्मी का वास स्वच्छता व शुद्धता में होता है, इसलिए मां लक्ष्मी के स्थाई वास के लिए पूरा घर साफ व पवित्र होना चाहिए. पुराणों में भी भगवान के मंदिर की साफ- सफाई को विभिन्न यज्ञ, जप व अनुष्ठानों के बराबर कहा गया है, पर ज्यादातर लोग ये नहीं जानते कि घर में बने मंदिर व उसमें रखी मूर्ति की सफाई कैसे करनी चाहिए. ऐसे में आज हम आपको इसके सामान्य नियम बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाने पर भगवान के दोष से बचने के साथ सभी देवी- देवताओं की कृपा प्राप्त की जा सकती है.

सफाई के लिए अलग झाड़ू व पोछा
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार, मंदिर की सफाई के लिए घर में अन्य जगह काम ली जा रही झाड़ू व पोछा का उपयोग नहीं करना चाहिये. मंदिर की झाड़ू व सफाई का कपड़ा या पोछा बिल्कुल अलग व साफ होना चाहिए, जिसका उपयोग सिर्फ मंदिर में ही होना चाहिये.

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नौकर की जगह खुद करें सफाई
घर के मंदिर की सफाई करना भगवान की सेवा करने के समान है. ऐसे में ये कार्य किसी नौकर या बाहरी व्यक्ति से नहीं करवाकर खुद ही करें. सेवा और भक्ति भाव से की गई सेवा से भगवान प्रसन्न होते हैं.

कचरे में ना फेंके के चढ़ावा
पंडित जोशी के अनुसार अमूमन लोग मंदिर में चढ़े फूल, पत्र, जौ, चावल या भोग को साफ कर कचरे में फेंक देते हैं, जबकि इन सभी चीजों में लक्ष्मी का वास होता है. ऐसे में इन्हें साधारण कचरा ना मानते हुए पीपल, बरगद या पवित्र नदी में विसर्जित करें. विसर्जन हमेशा सूर्योदय के बाद ही करना श्रेष्ठ है.

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खंडित मूर्ति करें विसर्जित
मंदिर की सफाई करते समय यदि कोई मूर्ति खंडित मिले या हो जाए तो उसे फिर से मंदिर में प्रतिष्ठित नहीं करें. उसे विधिपूर्वक मंदिर, पवित्र वृक्ष या तालाब आदि में विसर्जित कर दें.

दूर करें कालापन व मकड़ी का जाला
मंदिर में दीपक जलाने से अक्सर दीवारों पर कालापन हो जाता है. इसे रंग रोगन या अन्य साधन से जरूर साफ करें क्योंकि कालापन अशुभ का सूचक है. मंदिर में मकड़ी का जाला भी बिल्कुल नहीं रहने दें.

एल्कोहल से साफ ना करें तस्वीर
मंदिर तथा भगवान की मूर्ति व तस्वीरों को एल्कोहल वाले उत्पादों से साफ नहीं करें. नींबू, बेकिंग सोडा व ऑलिव ऑइल का उपयोग कर इन्हें रूई या स्वच्छ कपड़े से साफ करें.

Tags: Dharma Aastha, Dharma Culture, Diwali, Diwali Celebration, Diwali festival, Hindu Temples, Religious

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