ऋषि दुर्वासा की उत्पत्ति क्रोध हुई थी और वे भगवान शिव के पुत्र कहलाते हैं., Image- Canva
Durvasa Rishi: हिंदू धर्म ग्रंथों में ऋषि दुर्वासा का उल्लेख मिलता है. दुर्वासा बेहद महान और ज्ञानी ऋषि हुआ करते थे. ऋषि दुर्वासा रामायण और महाभारत काल का भी हिस्सा रहे हैं. ऋषि दुर्वासा अपने क्रोध के कारण जाने जाते थे. ऋषि दुर्वासा का क्रोध भी शिव की भांति बेहद भयावह होता था. ऋषि दुर्वासा भगवान शिव के पुत्र कहलाते हैं. ऋषि दुर्वासा की उत्पत्ति क्रोध के कारण हुई थी. पौराणिक ग्रंथों में ऋषि दुर्वासा के जन्म की कथा का वर्णन है. तो चलिए जानते हैं ऋषि दुर्वासा कौन थे और उनका जन्म कैसे हुआ था.
ये भी पढ़ें: घर में पोछा लगाने के भी होते हैं वास्तु नियम, अनदेखी करने पर होते हैं ये नुकसान
कैसे हुआ ऋषि दुर्वासा का जन्म
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय भगवान शिव को बेहद भयंकर क्रोध आ गया था. उनके क्रोध को देखकर सभी देवता भय से छिप गए. तब माता पार्वती ने शिव को शांत किया. भगवान शिव ने अपने गुस्से को अत्री की पत्नी अनसुइया के अंदर संचित कर दिया. इसके बाद अनसुइया ने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसका नाम दुर्वासा रखा गया. दुर्वासा का स्वभाव बचपन से ही बेहद तेज व गुस्से वाला था.
ऋषि दुर्वासा का गुस्सा था खतरनाक
पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि भगवान शिव के अवतार होने के कारण ऋषि दुर्वासा को अत्यधिक क्रोध आता था. ऋषि दुर्वासा अपने क्रोध में किसी को भी श्राप दे देते थे, इसलिए सभी देवता भी उनका आदर करते थे और उनके क्रोध से डरते थे. पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, महाभारत में दुर्वासा ऋषि के मंत्र से ही कुंती ने सूर्यपुत्र कर्ण को जन्म दिया था. वहीं, महाभारत काल में लक्ष्मण की मृत्यु का कारण भी ऋषि दुर्वासा को ही माना जाता है.
ये भी पढ़ें: आर्थिक समृद्धि के लिए घर की इस दिशा में लगाएं अपराजिता बेल
ऋषि दुर्वासा का जीवन परिचय
ऋषि दुर्वासा माता अनुसुइया और ऋषि अत्री के पुत्र थे. ऋषि दुर्वासा अपने माता पिता की आज्ञा लेकर तपस्या करने के लिए चले गए. ऋषि दुर्वासा अन्न और जल का त्याग करके तपस्या में लीन रहने लगे. ऋषि दुर्वासा ने सभी नियमों का पालन करते हुए सारी सिद्धियां प्राप्त कर ली थी. इसलिए ऋषि दुर्वासा सिद्ध योगी कहलाए. ऋषि दुर्वासा ने कुछ समय पश्चात यमुना नदी के किनारे अपने आश्रम का निर्माण किया और अपना पूरा जीवन आश्रम में बिताया. ऋषि दुर्वासा अत्यंत बुद्धिजीवी थे और उन्होंने कई ऋचाओं की रचना की थी. मान्यता है कि ऋषि दुर्वासा त्रेतायुग, द्वापरयुग और सतयुग में भी जीवित थे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Dharma Aastha, Dharma Culture, Religious