फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी 09 फरवरी को है. (Photo: Pixabay)
फाल्गुन माह की संकष्टी चतुर्थी व्रत 09 फरवरी दिन गुरुवार को है. यह द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत है, जिसे फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं. हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है और प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी का नाम अलग-अलग होता है. इस बार की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी सुकर्मा योग में है. इस योग में पूजा पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कृमार भार्गव से जानते हैं द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत के पूजा मुहूर्त और इस व्रत से होने वाले चार लाभ के बारे में.
सुकर्मा योग में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत वाले दिन 09 फरवरी को सुकर्मा योग प्रात:काल से ही लग गया है और यह शाम 04:46 बजे तक रहेगा. सुकर्मा योग में किए गए कार्य शुभ परिणाम देते हैं. ऐसे में आपको द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा सुबह में करनी चाहिए.
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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त
09 फरवरी को सुबह में 07:05 बजे से 08:27 बजे के बीच शुभ उत्तम मुहूर्त है. उसके बाद दोपहर में 12:35 बजे से लेकर 01:58 बजे तक लाभ उन्नति मुहूर्त और 01:58 बजे से लेकर दोपहर 03:21 बजे तक अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त है. इस दिन आप अपनी सुविधानुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा कर सकते हैं.
संकष्टी चतुर्थी 2023 चंद्रोदय समय
व्रत वाले दिन चंद्रमा का उदय रात 09:18 बजे होगा. यह देश की राजधानी नई दिल्ली का समय है. इस समय से आप चंद्रमा की पूजा और अर्घ्य देकर व्रत को पूरा कर सकते हैं.
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संकष्टी चतुर्थी व्रत से होने वाले लाभ
1. यदि आप किसी संकट में फंसे हैं और उससे बाहर निकलना चाहते हैं तो आपको संकष्टी चतुर्थी व्रत करना चाहिए. गणेश जी आपकी मनोकामनाएं पूरी करेंगे.
2. कोई कार्य सफल नहीं हो रहा है, उसमें बाधाएं आ रही है तो आप संकष्टी चतुर्थी व्रत करें और गणपति बप्पा की पूजा करें.
3. यदि आपके घर में वास्तु दोष के कारण समस्याएं हो रही हैं तो संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें. गणेश जी शुभता के प्रतीक हैं. सभी दोष दूर होंगे.
4. घर में हमेशा अशांति का माहौल रहता है, नकारात्मकता है तो उसे दूर करने के लिए आप संकष्टी चतुर्थी व्रत रखें और गणेश जी की पूजा करें. आपको आर्थिक लाभ भी होगा.
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