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कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी? नोट कर लें पूजा मुहूर्त, चंद्रमा का अर्घ्य होता है महत्वपूर्ण

संकष्टी चतुर्थी को रात के समय में चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं. (Photo: Pixabay)

संकष्टी चतुर्थी को रात के समय में चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं. (Photo: Pixabay)

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ति​थि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा म ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

इस दिन भगवान गणपति की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं.
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन सुकर्मा योग बना है.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ति​थि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. इस दिन भगवान गणपति की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की पूजा में चंद्रमा का अर्घ्य भी महत्वपूर्ण होता है. इसके बिना व्रत पूरा नहीं होता है. गणेश जी ने चंद्रमा को यह वरदान दिया था. संकष्टी चतुर्थी व्रत के पुण्य और गणेश जी के आशीर्वाद से संकट दूर होते हैं, धन-धान्य में वृद्धि होती है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023 तिथि
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी बताते हैं कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ति​थि 09 फरवरी को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से शुरु हो रही है और 10 फरवरी को सुबह 07 बजकर 58 मिनट पर तिथि खत्म हो रही है.

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चतुर्थी के चंद्रमा और सूर्योदय के आधार पर द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 09 फरवरी दिन गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन सूर्योदय सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर होगा.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त
09 फरवरी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन सुकर्मा योग बना है. सुबह से लेकर शाम 04 बजकर 46 मिनट तक सुकर्मा योग है. यह योग पूजा पाठ के लिए अच्छा माना जाता है. इस दिन आप सुबह में गणेश जी की पूजा कर सकते हैं.

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द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 2023 चंद्रमा अर्घ्य समय
संकष्टी चतुर्थी को रात के समय में चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं. इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय रात 09 बजकर 18 मिनट से है. इस व्रत में चंद्रमा को दूध, जल और सफेद पुष्प से अर्घ्य देते हैं.

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है, वह चतुर्थी व्रत जिसे करने से सभी प्रकार के संकटों का नाश होता है. इस दिन पूजा के समय संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करते हैं या सुनते हैं. गणेश जी की पूजा में लाल और पीले पुष्प, मोदक, दूर्वा, सिंदूर, अक्षत्, चंदन का आदि उपयोग करते हैं. गणेश जी की पूजा करने से कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. जीवन में शुभता बढ़ती है.

Tags: Dharma Aastha, Lord ganapati

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