एकदंत संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) हिन्दी माह ज्येष्ठ के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी कहलाती है. इस प्रकार से एक माह में दो चतुर्थी व्रत होते हैं. इस साल एकदंत संकष्टी चतुर्थी 19 मई दिन गुरुवार को है. इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं एकदंत संकष्टी चतुर्थी के पूजा मुहूर्त और चंद्रोदय समय के बारे में.
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एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2022
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 मई दिन बुधवार को रात 11 बजकर 36 मिनट से शुरु हो रही है. इस तिथि का समापन अगले दिन 19 मई गुरुवार को रात 08 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है. व्रत एवं पूजा पाठ के लिए उदयातिथि की मान्यता है, इसलिए एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत एवं पूजा 19 मई को किया जाएगा.
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एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2022 पूजा मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी वाले दिन सुबह से साध्य योग है, जो दोपहर 02:58 बजे तक रहेगा. उसके बाद शुभ योग शुरु हो जाएगा. ये दोनों ही योग पूजा पाठ के लिए शुभ फलदायाी हैं. आप प्रात:काल से पूजा पाठ कर सकते हैं.
इस दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है. इस अवधि में आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं.
एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2022 चंद्रोदय समय
संकष्टी चतुर्थी का व्रत तभी पूर्ण माना जाता है, जब उस रात चंद्रमा की पूजा कर ली जाए. इस दिन चंद्रमा देर से उगता है. एकदंत संकष्टी चतुर्थी की रात चंद्रमा का उदय 10 बजकर 56 मिनट पर होगा. चंद्रमा को जल अर्पित करने के बाद ही व्रत का पारण करते हैं. विनायक चतुर्थी में चंद्रमा दर्शन या पूजा वर्जित है.
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने और विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से संकट दूर होते हैं. जीवन सुखमय और खुशहाल होता है. गणपति की कृपा से कार्य सफल होते हैं, बाधाएं दूर होती हैं. गणेश जी के आशीर्वाद से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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