राजस्थान में चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि को गणगौर पूजा होती है.
गणगौर पूजा हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होती है. इस दिन कुंवारी कन्या और सुहागन महिलाएं व्रत रखती हैं, माता पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा करती हैं. गणगौर दो शब्दों से बना है. गण का अर्थ भगवान शिव और गौर का अर्थ माता पार्वती से है. ये पूजा और व्रत शिव-पार्वती को समर्पित है. गणगौर पूजा विशेषकर राजस्थान में धूमधाम से होती है, लेकिन मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में भी गणगौर पूजा की जाती है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं गणगौर पूजा के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में.
गणगौर पूजा 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 23 मार्च गुरुवार को शाम 06 बजकर 20 मिनट से हो रहा है और इस तिथि का समापन 24 मार्च को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर गणगौर पूजा 24 मार्च शुक्रवार को होगी और इस दिन व्रत रखा जाएगा. गणगौर पूजा को गौरी तृतीया भी कहते हैं. गणगौर पूजा के दिन का अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक है.
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दो शुभ योगों में है गणगौर पूजा
24 मार्च को गणगौर पूजा के दिन दो शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहा है. गणगौर पूजा के दिन सुबह 06 बजकर 21 मिनट से दोपहर 01 बजकर 22 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग है. इस दिन रवि योग दोपहर 01 बजकर 22 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बकजर 20 मिनट तक है.
गणगौर पूजा 2023 चौघड़िया मुहूर्त
चर-सामान्य 06:21 एएम से 07:53 एएम
लाभ-उन्नति 07:53 एएम से 09:24 एएम
अमृत-सर्वोत्तम 09:24 एएम से 10:56 एएम
शुभ-उत्तम 12:28 पीएम से 01:59 पीएम
चर-सामान्य 05:03 पीएम से 06:34 पीएम
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गणगौर पूजा का महत्व
1. गणगौर पूजा करने से मनचाहे जीवनसाथी को पाने की मनोकामना पूर्ण होती है.
2. इस व्रत को करने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. शिव और पार्वती पति को लंबी आयु देते हैं और रक्षा करते हैं.
3. गणगौर पूजा के दिन माता पार्वती को जितना गहना अर्पित करते हैं, उतान ही घर में सुख, समृद्धि और वैभव बढ़ता है.
गणगौर पूजा विधि
गणगौर के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूजा के लिए माता पार्वती और शंकर जी की मिट्टी की मूर्तियां बनाती हैं. उसके बाद फूलों से उनका श्रृंगार करती हैं. पूजा में माता पार्वती को सुहाग सामग्री भी चढ़ाते हैं. यह पूजा पति से छिपाकर की जाती है. इस पूजा का प्रसाद पति को नहीं दिया जाता है.
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