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Garuda Purana: विकराल रूप में होती है वैतरणी नदी, पापी आत्मा को देखकर हो जाती है उग्र, कैसा होता है यमलोक का रास्ता?

नदी में खून बहता है के किनारों पर हड्डियों का ढेर लगा है

नदी में खून बहता है के किनारों पर हड्डियों का ढेर लगा है

सनातन धर्म में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व है. इस धार्मिक ग्रंथ में मनुष्य के जीवन-मृत्यु के बारे में विस्तार से जानकारी ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

वैतरणी और पुष्पोदका नदी, ये वे दो नदियां हैं, जो यमलोक जाने के मार्ग में पड़ती हैं.
गरुड़ पुराण के अनुसार वैतरणी नदी सबसे भयानक मानी जाती है.

Garuda Purana: सनातन धर्म में कई ग्रंथ और पुराण लिखे गए हैं. इनका अपना-अपना विशेष महत्व है. इन्हीं में से एक है गरुड़ पुराण. गरुड़ पुराण एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें मनुष्य के जीवन से लेकर मृत्यु के विषय में विस्तार से बताया गया है. सनातन धर्म में गरुड़ पुराण को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है. मान्यता है कि इस धार्मिक ग्रंथ में भगवान विष्णु ने अपने प्रिय वाहन गरुड़ देव के माध्यम से मनुष्य को मोक्ष का मार्ग बताया है. इसके अलावा यह भी बताया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को किन-किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है. आज इस आर्टिकल में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से जानेंगे गरुड़ पुराण के अनुसार कैसा होता है यमलोक का मार्ग.

यमलोक के रास्ते में पड़ती हैं दो नदियां

वैतरणी और पुष्पोदका नदी ये वे दो नदियां हैं, जो यमलोक जाने के मार्ग में पड़ती हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार वैतरणी नदी सबसे भयानक मानी जाती है. कहा जाता है कि इस नदी में खून बहता है, किनारों पर हड्डियों का ढेर लगा है, जिन्हें पापी लोगों को पार करना होता है. मान्यताओं के अनुसार मृत्यु के बाद जिनके परिजन विधिवत कर्मकांड करते हैं, वे नदी से पार पाते हैं बाकी आत्माएं इस नदी में डूब जाती हैं या फिर पार करने के लिए लगातार संघर्ष करती हैं. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यह नदी पापियों को देखकर उग्र हो जाती है और खौलने लगती है, जिसे देखकर आत्माएं डर जाती हैं.

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कर्मों के हिसाब से मिलती है मदद

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद जिन परिजनों का विधिवत कर्मकांड होता है, वे लोग नदी को नाव में बैठकर पार कर लेते हैं. इस नाव में वही लोग बैठ पाते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में पुण्य कर्म किए हैं.

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यमलोक में मिलती है पुष्पोदका नदी

गरुड़ पुराण के अनुसार जब आत्मा यमलोक पहुंच जाती है तो पुष्पोदका नदी के किनारे बैठकर विश्राम करती है. इस नदी का जल बेहद स्वच्छ और निर्मल होता है. इसके किनारे बड़े-बड़े हरे वृक्ष लगे होते हैं. मान्यता के अनुसार इस नदी के माध्यम से ही मृतक के परिजनों ने जो पिंडदान और तर्पण किया है, उसका भोजन उस आत्मा को प्राप्त होता है, जिससे आत्मा को शक्ति मिलती है.

Tags: Dharma Aastha, Religion

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