Gita Jayanti 2021: हर वर्ष मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) को गीता जयंती मनाई जाती है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने अर्जुन (Arjun) को श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) का दिव्य उपदेश दिया था, इसका उद्देश्य युगों-युगों तक मानवमात्र का कल्याण करना था. भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकली गीता का कलयुग में भी मनुष्य के बौद्धिक तथा नैतिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है. गीता जयंती के अवसर पर श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश इस्कॉन मंदिर में 14 दिसंबर को प्रातः 9:30 बजे से श्रीमद्भगवद्गीता महायज्ञ होगा. इसमें भगवद्गीता के 700 श्लोकों की आहुति दी जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने, उन्नति एवं सर्वांगीण विकास के लिए यज्ञ एक सर्वोच्च साधन है. आइए जानते हैं कि कलयुग में भी गीता अनुसार कर्म करना क्यों जरूरी है?
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिभर्वति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।। (4.7-8)
भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे भरतवंशी! जब भी और जहाँ भी धर्म का पतन होता है और अधर्म की प्रधानता होने लगती है, तब-तब मैं अवतार लेता हूं. भक्तों का उद्धार करने, दुष्टों का विनाश करने तथा धर्म की फिर से स्थापना करने के लिए मैं हर युग में प्रकट होता हूं.
कलयुग में आज भी हमें श्रीकृष्ण के उपदेशों की आवश्यकता है. अर्जुन के रूप में हर एक व्यक्ति किसी न किसी संकट में है. उसका संकट महाभारत के युद्ध से कम भी नहीं, अतः गीता के 18वें अध्याय के श्लोक 73 में वर्णित है कि जब वीर अर्जुन अंत में श्रीकृष्ण के आदेशानुसार कार्य करने को उद्यत हुआ, तो हमें क्यों नहीं उनके आदेशों को जीवन में अपनाना चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण के आदेशानुसार कर्म करना ही उनके
उपदेश का सार है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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