हनुमान जी को चोला चढ़ाने की विधि. Image-canva
Hanuman Jayanti 2023: हनुमान जयंती 06 अप्रैल को देशभर में धूमधाम से मनाई जाएगी. इस दिन पवनपुत्र की पूजा विधि-विधान से की जाती है और संकटों को हरने वाले रामभक्त हनुमान जी को सिंदूर का चोला भी चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि चोला चढ़ाने से पवनपुत्र अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न होते हैं. हनुमान जयंती के दिन तो चोला चढ़ाने का विशेष महत्व माना गया है. हनुमान जी को चोला विधि-विधानपूर्वक चढ़ाना अनिवार्य होता है. बजरंगबली को चोला चढ़ाने के लिए 5 चीजें अनिवार्य होती है. इनके बिना चोला चढ़ाने का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है.
आप भी अगर हनुमान जयंती पर हनुमान जी को खुद चोला चढ़ा रहे हैं या फिर किसी पुजारी के जरिये चोला चढ़वा रहे हैं तो चोला सामग्री में 5 चीजों को जरूर रखें. इंदौर के पंडित नवीन उपाध्याय के मुताबिक हनुमान जी को चोला चढ़ाने के लिए एक निश्चित विधि का पालन करना अनिवार्य है. इसके साथ ही चोला चढ़ाने के पहले संकल्प लेना भी जरूरी है. आइए जानते हैं चोला चढ़ाने की विधि के बारे में..
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चोला चढ़ाने के लिए 5 चीजें हैं अनिवार्य
हनुमान जयंती के विशेष अवसर पर बजरंगबली के भक्त अपने इष्ट को चोला भी चढ़ाते हैं. कई लोग मंदिरों में चोला चढ़ाने के लिए सामग्री का भी दान करते हैं. आप भी अगर चोला चढ़ाने जा रहे हैं तो इसके लिए 5 चीजें होना अनिवार्य हैं. इन चीजों में सिंदूर, इत्र, चमेली का तेल, लाल कपड़े की लंगोट और जनेऊ बेहद आवश्यक है. नियम पूर्क चोला चढ़ाने पर हनुमान जी अपने भक्तों से जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों के जीवन के सारे संकटों को दूर कर दें.
हनुमान जी को चोला चढ़ाने की विधि
हनुमान जी को चोला चढ़ाने के पहले संकल्प लिया जाता है. पं. नवीन उपाध्याय बताते हैं कि इसके बाद गणपति जी का ध्यान किया जाता है. फिर भगवान श्रीराम का ध्यान और फिर बजरंगबली का ध्यान कर उनके चरणों में पुष्प अर्पित करना चाहिए. चोला चढ़ाने के पहले हनुमान जी को स्नान कराना चाहिए. स्नान कराने के लिए सबसे पहले पैरों को धोएं, फिर हाथों को और मुख में आचमन कराने के बाद सभी अंगों का स्नान कर सिर पर जल डालना चाहिए.
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हनुमान जी को स्नान कराने के बाद ही सिंदूर में तेल और इत्र डालकर चोला चढ़ाना चाहिए. पंडित जी के मुताबिक हनुमान जी को चांदी या सोने का वर्क नहीं लगाना चाहिए. वहीं, चोला चढ़ाने के बाद बजरंगबली को लाल लंगोट और जनेऊ पहनाना अनिवार्य होता है. चोला चढ़ाने के बाद पुष्प माला, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाया जाता है.
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