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Hanuman Katha: अतुलित बलशाली हैं वीर हनुमान, जानें कितने सौ कोस की लगा सकते थे छलांग

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जब महावीर हनुमान सीताजी की खोज में गए थे तो उन्‍होंने दक्षिण भारत के छोर से लंका पहुंचने के लिए 100 योजन से ज्‍यादा का समुद्र लांघा था. आधुनिक कालगणना के अनुसार, 100 योजन की दूरी 400 कोस से भी ज्‍यादा होती है. 400 कोस में 1200 किलोमीटर होते हैं.

अतुलित बलशाली हैं वीर हनुमान, जानें कितने सौ कोस की लगा सकते थे छलांगहनुमान जी ने सूर्य को निगलने के लिए 300 योजन की छलांग लगाई थी.
Hanuman Katha: जब महावीर हनुमान सीताजी की खोज में गए थे तो उन्‍होंने दक्षिण भारत के छोर से लंका पहुंचने के लिए 100 योजन से ज्‍यादा का समुद्र लांघा था. आधुनिक कालगणना के अनुसार, 100 योजन की दूरी 400 कोस से भी ज्‍यादा होती है. 400 कोस में 1200 किलोमीटर होते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि हनुमानजी ने महेंद्र पर्वत से लंका वाले त्रिकूट पर्वत तक 1200 किलोमीटर से ज्‍यादा लंबी छलांग लगाई थी. यह दूरी बहुत ज्‍यादा होती है. मगर आपको हैरानी होगी कि महावीर हनुमान इससे भी ज्‍यादा दूरी एक बार में तय कर सकते थे.

श्रीवाल्मीकि रामायण के सुंदरकाण्ड में इस बारे में कहा गया है कि रीछराज जामवंत हनुमानजी को उनके बल-सामर्थ्य की दुहाई देते हुए कहते हैं, “हे वानर श्रेष्ठ ! उठो और महासमुद्र को लांघ जाओ; क्योंकि तुम्हारी गति सभी प्राणियों से श्रेष्ठ है.” जामवंत ने हनुमानजी को उनकी खोई हुई शक्ति याद दिलाने के लिए कहा- ‘महाकपि 300 योजन ऊंचा जाने के बाद सूर्य के तेज से आक्रांत होने पर भी तुम्‍हारे मन में खेद या चिंता नहीं हुई.’ ऐसी कई बातें सुनकर हनुमानजी को अपने बल-सामर्थ्य का अहसास हो गया.
फिर हनुमानजी कहते हैं कि मैं तो 1 हजार योजन तक भी जाकर वापस आ सकता हूं, मैं चाहूं तो रावण को दंड देकर सीताजी को ला सकता हूं. लंका तहस-नहस कर सकता हूं. इस पर जामवंत ने कहा कि नहीं महावीर..हमको सिर्फ सीताजी की खोज करने के लिए भेजा गया है. आप वही कीजिएगा. इस पर हनुमान पूछते हैं कि यदि लंका में कोई मुझ पर हमला करे तो, तब जामवंत कहते हैं- हां, आप अपनी आत्‍मरक्षा में कोई कदम उठा सकते हो.’
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