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Hariyali Teej 2020: शिवजी ने पार्वती को सुनाई थी तीज की ये अद्भुत कथा

हरियाली तीज की व्रत कथा

हरियाली तीज की व्रत कथा

हरियाली तीज (Hariyali Teej) : भगवान शिव (Shiv Ji) माता पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाते हुए कहते हैं- हे पार्वती! ...अधिक पढ़ें

    हरियाली तीज (Hariyali Teej) : हरियाली तीज आज 23 जुलाई को है. सनातन धर्म में हरियाली तीज को महिलाओं का मुख्य पर्व माना गया है. आज विवाहित महिलाएं पूरा दिन निर्जल व्रत रहकर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करेंगी और शाम को कथा सुनकर व्रत का पुण्य लाभ लेंगी. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई कुंवारी लड़की हरियाली तीज की व्रत कथा को मन से सुनती है तो इसके श्रवण मात्र से उसे सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है. आइए पढ़ते हैं हरियाली तीज की व्रत कथा...

    हरियाली तीज की व्रत कथा:

    भगवान शिव माता पार्वती को उनका पिछला जन्म याद दिलाते हुए कहते हैं- हे पार्वती! बहुत समय पहले तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था. इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर दिन व्यतीत किए थे. किसी भी मौसम की परवाह किए बिना तुमने निरंतर तप किया. तुम्हारी इस स्थिति को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दुखी थे. ऐसी स्थिति में नारदजी तुम्हारे घर पधारे.

    जब तुम्हारे पिता ने नारदजी से उनके आगमन का कारण पूछा, तो नारदजी बोले- ‘हे गिरिराज! मैं भगवान् विष्णु के भेजने पर यहां आया हूं. आपकी कन्या की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर वह उससे विवाह करना चाहते हैं. इस बारे में मैं आपकी राय जानना चाहता हूं.’

    नारदजी की बात सुनकर पर्वतराज अति प्रसन्नता के साथ बोले- हे नारदजी. यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या से विवाह करना चाहते हैं, तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती. मैं इस विवाह के लिए तैयार हूं.'

    फिर शिवजी पार्वतीजी से कहते हैं- 'तुम्हारे पिता की स्वीकृति पाकर नारदजी, विष्णुजी के पास गए और यह शुभ समाचार सुनाया. लेकिन जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला तो तुम्हें बहुत दुख हुआ. तुम मुझे यानि कैलाशपति शिव को मन से अपना पति मान चुकी थी.

    तुमने अपने व्याकुल मन की बात अपनी सहेली को बताई. तुम्हारी सहेली से सुझाव दिया कि वह तुम्हें एक घनघोर वन में ले जाकर छुपा देगी और वहां रहकर तुम शिवजी को प्राप्त करने की साधना करना. इसके बाद तुम्हारे पिता तुम्हें घर में न पाकर बड़े चिंतित और दुखी हुए. वह सोचने लगे कि यदि विष्णुजी बारात लेकर आ गए और तुम घर पर ना मिली तो क्या होगा. उन्होंने तुम्हारी खोज में धरती-पाताल एक करवा दिए लेकिन तुम ना मिली.

    तुम वन में एक गुफा के भीतर मेरी आराधना में लीन थी. भाद्रपद तृतीय शुक्ल को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना की जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की. इसके बाद तुमने अपने पिता से कहा कि ‘पिताजी, मैंने अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिताया है और भगवान शिव ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे स्वीकार भी कर लिया है. अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे.' पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा स्वीकार कर ली और तुम्हें घर वापस ले गए. कुछ समय बाद उन्होंने पूरे विधि-विधान से हमारा विवाह किया.'

    भगवान शिव ने इसके बाद कहा कि- 'हे पार्वती! तृतीया को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो सका. इस व्रत का महत्व यह है कि मैं इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाली प्रत्येक स्त्री को मनवांछित फल देता हूं. भगवान शिव ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण श्रद्धा से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग प्राप्त होगा. .(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

    Tags: Religion, Shiv ji

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