भगवान विष्णु को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है गुड़ और चना. (Image-Canva)
Lord Vishnu Bhog: वैसे तो सच्चे मन और श्रद्धा से भगवान को जो भी अर्पण किया जाए, भगवान उसे प्रसन्नतापूर्वक ग्रहण करते हैं. चाहे वो शबरी द्वारा खिलाए गए झूठे बेर हों या फिर विदुरानी द्वारा निवेदित किये गए केले के छिलके हों, पर भगवान विष्णु को गुड़ और चने की दाल अत्यधिक प्रिय है. पौराणिक ग्रंथों में भी इस बात का जिक्र किया गया है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में.
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श्रीहरि और नारद जी का संवाद
भगवान विष्णु के परमभक्त देवर्षि नारद आत्मा का ज्ञान लेने की आकांक्षा रखते थे परंतु वे जब भी अपनी इस इच्छा को भगवान के सम्मुख प्रकट करते तो भगवान हमेशा यह कहकर टाल देते कि वे अभी इस योग्य नहीं हैं. नारद जी ने योग्य बनने के लिए कठोर जप-तप किया परंतु अनेकों बार प्रयास करने पर भी जब श्रीहरि नहीं माने तो निराश मन से नारद जी पृथ्वी लोक की सैर करने चल दिए.
चलते-चलते उनकी दृष्टि एक मंदिर पर पड़ी, जहां स्वयं भगवान विष्णु विराजमान थें\ और एक वृद्धा उन्हें अपने हाथों से कुछ खिला रही थी, जिसे प्रभु बड़े प्रेम से खा भी रहे थे. यह देखकर देवर्षि नारद के मन में अत्यंत उत्सुकता हुई कि आखिर ऐसा क्या है, जिसे ग्रहण करने स्वयं प्रभु बैकुंठ से धरातल पर आए हैं.
देवर्षि नारद का वृद्धा से संवाद
श्रीहरि के वहां से जाने के बाद नारद जी उस वृद्धा के पास गए और बड़ी उत्सुकता से उनसे पूछा कि “हे माता! वो ऐसी कौन सी दिव्य सामग्री थी, जिसे श्रीहरि आपके हाथों से इतने प्रेमपूर्वक ग्रहण कर रहे थे.”
इस पर वो वृद्धा बोली, “देवर्षि नारद, मैं प्रभु को गुड़ एवं चने की दाल का भोग लगा रही थी.”
नारद जी की तपस्या
यह सुनने के बाद नारद जी उसी स्थान पर रहकर श्रीहरि का पूजन करने लगे और उन्हें गुड़ एवं चने की दाल भोग लगाकर प्रसाद सबको बाटने लगे. यह देखकर विष्णु जी अत्यंत प्रसन्न हुए और वहां प्रकट होकर नारद जी को आत्मा का ज्ञान दिया और उस वृद्ध भक्त को मोक्ष प्रदान किया.
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भगवान श्रीहरि का आशीर्वाद
श्रीहरि बोले, “जो व्यक्ति मुझे प्रेमपूर्वक गुड़ एवं चने की दाल का भोग लगाएगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.” तभी से सभी वैष्णव जन अपने आराध्य श्रीहरि विष्णु को गुड़ और चने की दाल का भोग लगाकर उनकी कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
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