श्रीकृष्ण के विदुर व विदुरानी के घर केले के छिलके खाए.,image-canva
Mahabharat Krishna Vidurani Story: हिंदू धर्म ग्रंथ भक्ति रस की कथाओं से भरे पड़े हैं. इनमें कुछ कथाएं तो पढ़ते-सुनते समय ही मनुष्यों में भक्ति का भाव पैदा कर देती है. ऐसी ही एक कथा भगवान श्रीकृष्ण की दुर्योधन का शाही भोज छोड़कर विदुर- विदुरानी के केले के छिलके खाने की है. महाभारत काल का वही प्रसंग आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
श्रीकृष्ण ने ठुकराया दुर्योधन का छप्पन भोग
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार विदुर धर्मराज के अवतार थे. मांडव्य ऋषि के शाप के कारण दासी पुत्र के रूप में उन्हें धृतराष्ट्र व पांडू का भाई होना पड़ा. विदुर व उनकी पत्नी विदुरानी की भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति व प्रेम की परम भावना थी. जब श्रीकृष्ण पांडवों के दूत बनकर संधि का संदेश लेकर दुर्योधन से मिलने आए तो उसने स्वागत में सारे नगर को सजाकर शाही छप्पन भोग बनवाया. पर जब श्रीकृष्ण वहां पहुंचे तो उन्होंने उसे ठुकरा दिया. भक्ति के वश होकर वे सीधे विदुर के दरवाजे पर जा पहुंचे.
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स्नान करते बीच में दौड़ी विदुरानी
भगवान श्रीकृष्ण जब विदुर के घर पहुंचे तो विदुर घर से बाहर थे. उनकी पत्नी विदुरानी स्नान कर रही थी. जब श्रीकृष्ण ने बाहर से आवाज लगाई उसे पहचान कर वह अपनी सुध- बुध भूल गई. वस्त्र पहने बिना ही उसने ज्यों की त्यों दौड़कर घर के किवाड़ खोल दिए. भगवान ने जब उनका यह हाल देखा तो झट से कमर से लिपटा हुआ पीतांबर उनके शरीर पर डाल दिया. जब विदुरानी को थोड़ा होश आया तो जल्दी ही अंदर जाकर कपड़े पहन आई.
इसके बाद वह श्रीकृष्ण के पास आकर बैठ गई. भोजन के लिए कुछ ना होने पर वह उनके लिए केले ले आई. पर भगवान के सुंदर मुख को देखते हुए वह प्रेम – भक्ति में ऐसी बावली हुई कि केलों छीलकर उसका गूदा फेंकने लगी और छिलके भगवान को खिलाने लगी. भगवान भी भक्तन का भाव देख प्रेम के वश उन्हें आनंद से खाने लगे.
कुछ देर में जब विदुर वहां पहुंचे तो उन्होंने झल्लाकर विदुरानी को टोका. पत्नी से हुई भूल को विचार कर विदुरजी भगवान को केले के गूदे खिलाने लगे. ये देख भगवान ने बड़े प्रेम से कहा कि विदुरजी आपने केले के गूदे खिलाकार ठीक काम तो किया है, पर जैसा स्वाद उन छिलकों में मिला था वैसा इन गूदो में नहीं मिल रहा. इस तरह श्रीकृष्ण ने विदुर व विदुरानी के घर प्रेम से भोजन किया.
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दूर्योधन के टोकने पर भगवान ने दिया जवाब
पंडित जोशी के अनुसार विदुर के घर भोजन करने पर दुर्योधन ने श्रीकृष्ण के प्रति नाराजगी भी जताई. इस पर भगवान ने कहा कि किसी के घर भोजन भाव, अभाव या प्रभाव में किया जाता है. पर ना तो तुझमें भाव है, ना मुझमें अभाव है और ना तेरा मुझपर कोई प्रभाव है. इसलिए मैंने भक्ति भाव से भरे विदुर व विदुरानी के घर भोजन किया है.
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Tags: Dharma Aastha, Dharma Culture, Hinduism, Mahabharat
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