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जया एकादशी पर पढ़ें यह व्रत कथा, पाएं भगवान विष्णु की कृपा, भूत-प्रेत योनि से मिलेगी मुक्ति

जया एकादशी व्रत की कथा माल्यवान और पुष्पवती पर आधारित है.

जया एकादशी व्रत की कथा माल्यवान और पुष्पवती पर आधारित है.

जया एकादशी व्रत आज 01 फरवरी को है. आज विष्णु पूजा के समय जया एकादशी व्रत कथा पढ़ते या सुनते हैं, इससे भगवान विष्णु प्रस ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

जया एकादशी व्रत 01 फरवरी दिन बुधवार को है.
इस दिन पूजा के समय पद्म पुराण की प्रसिद्ध कथा सुनते हैं.

जया एकादशी व्रत 01 फरवरी दिन बुधवार को है. इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने का विधान है. इस व्रत को करने से आत्माओं को भूत, प्रेत और पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है. इस दिन पूजा के समय पद्म पुराण की प्रसिद्ध कथा सुनते हैं, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को जया एकादशी व्रत की महिमा को बताते हुए सुनाया था. जया एकादशी व्रत कथा में अप्सरा पुष्पवती और माल्यवान की कथा का वर्णन है.

जया एकादशी व्रत कथा
पद्म पुराण की कथा के अनुसार, देवराज इंद्र स्वर्ग पर शासन कर रहे थे. स्वर्ग में सभी देवी और देवता गण सुखपूर्वक रह रहे थे. एक बार इंद्र देव अप्सराओं के साथ सुंदरवन में विहार करने गए. उनके साथ गंधर्व भी थे. उसमें अप्सरा पुष्पवती और गंधर्व माल्यवान भी थे.

उस दौरान पुष्पवती ने माल्यवान को देखा और उस पर मोहित हो गई. माल्यवान ने भी उसे देखा और वह भी उसके सौंदर्य को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया. वे दोनों इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए नृत्य और गायन कर रहे थे. लेकिन वे दोनों एक दूसरे के प्रति आ​कर्षित ​थे, इसलिए उनका मन विचलित था.

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इंद्रदेव ने माल्यवान और पुष्पवती के प्रेम को समझ लिया क्योंकि वे दोनों ही अपने काम में ध्यान नहीं दे पा रहे थे. इंद्र ने इसे अपना अपमान समझकर माल्यवान और पुष्पवती को श्राप दे दिया. उन्होंने कहा कि तुम दोनों अभी से स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर रहोगे और वहां पर पिशाच योनि में कष्ट भोगोगे. श्राप के कारण माल्यवान और पुष्पवती हिमालय पर आ गए और पिशाच योनि में कष्टप्रद जीवन व्यतीत करने लगे.

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एक दिन माघ शुक्ल पक्ष की जया एकादशी आई. माल्यवान और पुष्पवती ने उस दिन कुछ भी अन्न नहीं खाया और फल फूल पर दिन व्यतीत किया. सूर्यास्त के समय वे पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर रात बिताए. उस रात सर्दी के कारण वे सो नहीं सके, जिससे उनका रात्रि जागरण हो गया. जया एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से सुबह होते ही वे पिशाच योनि से मुक्त हो गए.

भगवान विष्णु की कृपा से उन दोनों ने सुंदर शरीर प्राप्त किया और वे स्वर्ग लोक चले गए. उन दोनों ने देवराज इंद्र को प्रणाम किया. उनको देखकर इंद्र चौंक गए और पिशाच योनि से मुक्ति का उपाय पूछा. तब माल्यवान ने बताया कि भगवान विष्णु की कृपा और जया एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से उन दोनों को पिशाच योनि से छुटकारा मिला है.

इस प्रकार से जो भी व्यक्ति जया एकादशी व्रत रखता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. वह अपने व्रत के पुण्य को पितरों को दान कर सकता है ताकि कोई पिशाच, भूत या प्रेत योनि में हो तो उसे मुक्ति मिल सके.

Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu

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