Kalashtami 2022: हिन्दू कैलेंडर के हर मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के अंशावतार काल भैरव (Kaal Bhairav) की पूजा की जाती है. काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु, मृत्यु के डर से मुक्ति, सुख, शांति और आरोग्य प्राप्त होता है. काल भैरव को तंत्र मंत्र का देवता माना जाता है. भगवान शिव की नगरी काशी की रक्षा वहां के कोतवाल बाबा काल भैरव ही करते हैं. एक वर्ष में कुल 12 कालाष्टमी व्रत होते हैं. इस समय माघ मास चल रहा है. आइए जानते हैं कि इस वर्ष की पहली कालाष्टमी कब है और पूजा मुहूर्त (Puja Muhurat) क्या है?
पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 25 जनवरी दिन मंगलवार को प्रात: 07 बजकर 48 मिनट पर हो रहा है. यह तिथि 26 जनवरी दिन बुधवार को प्रात: 06 बजकर 25 मिनट तक मान्य है. इस साल का पहला कालाष्टमी व्रत 25 जनवरी को रखा जाएगा.
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कालाष्टमी के दिन द्विपुष्कर योग और रवि योग का संयोग बन रहा है. इस दिन द्विपुष्कर योग प्रात: 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक है, वहीं रवि योग सुबह 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 55 मिनट तक है. इस का शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक है.
कालाष्टमी व्रत का महत्व
कालाष्टमी का व्रत करने और काल भैरव की पूजा करने व्यक्ति को हर प्रकार के डर से मुक्ति मिलती है. उनकी कृपा से रोग-व्याधि दूर होते हैं. वह अपने भक्तों की संकटों से रक्षा करते हैं. उनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां पास नहीं आती हैं.
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काल भैरव को भगवान शिव का ही अंश माना जाता है. काल भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव से ही हुई है. काल भैरव को कलयुग का जागृत देव माना जाता है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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