होम /न्यूज /धर्म /1 अप्रैल को है कामदा एकादशी, पूजा के समय पढ़ें व्रत कथा, राक्षस योनि और पाप से मिलेगी मुक्ति

1 अप्रैल को है कामदा एकादशी, पूजा के समय पढ़ें व्रत कथा, राक्षस योनि और पाप से मिलेगी मुक्ति

कामदा एकादशी पर ललित और ललिता की व्रत कथा सुनते हैं.

कामदा एकादशी पर ललित और ललिता की व्रत कथा सुनते हैं.

kamada ekadashi 2023 vrat katha: आज 1 अप्रैल शनिवार को कामदा एकादशी व्रत है. आज भगवान विष्णु की पूजा के समय कामदा एकादश ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं.
विष्णु कृपा से पाप से मुक्ति मिलती है और वह व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है.

इस साल कामदा एकादशी आज 1 अप्रैल दिन शनिवार को है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और कामदा एकादशी व्रत कथा सुनते हैं. इस व्रत को करने से व्यक्ति के कार्य सफल होते हैं. विष्णु कृपा से पाप से मुक्ति मिलती है और वह व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बताते हैं कि एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि चैत्र शुक्ल एकादशी व्रत का महत्व क्या है? इसकी व्रत की महिमा और विधि क्या है? इस पर श्रीकृष्ण जी ने कहा कि चैत्र शुक्ल एकादशी को कामदा एकादशी के रूप में जानते हैं. यह व्रत मनुष्य के पापों का नाश करता है. उसे जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है. पढते हैं कामदा एकादशी व्रत कथा.

कामदा एकादशी व्रत कथा
भोगीपुर राज्य में राजा पुंडरीक की शासन था. उसका राज्य धन धान्य और ऐश्वर्य से भरा था. उसके राज्य में एक प्रेमी युगल रहता था, जिसका नाम ललित और ललिता था. वे दोनों एक दूसरे से प्रेम कर​ते थे. एक दिन राजा पुंडरीक की सभी लगी थी, उसमें ललित साथी कलाकारों के साथ गीत संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहा था. उसने ललिता को देखा और उसका सुर गड़बड़ हो गया.

यह भी पढ़ें: कब है कामदा एकादशी, 1 या 2 अप्रैल को? तिरुपति के ज्योतिषाचार्य से जान लें सही तिथि, पूजा मुहूर्त और पारण

सभा में उपस्थित सेवकों ने राजा पुंडरीक को इस बात की जानकारी दे दी. इस पर क्रोधित राजा पुंडरीक ने ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया. श्राप के कारण ललित राक्षस बन गया और उसका शरीर 8 योजन का हो गया. अब वह जंगल में रहने लगा. पत्नी ललिता जंगल में ललित के पीछे भागती रहती थी. राक्षस होने के कारण ललित का जीवन बड़ा कष्टमय हो गया था.

एक रोज ललिता विंध्याचल पर्वत पर गई. वहां पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम था. ललिता ने श्रृंगी ऋषि को प्रणाम किया और अपने आने को उद्देश्य बताया. श्रृंगी ऋषि ने कहा कि तुम परेशान न हो. तुम कामदा एकादशी का व्रत रखो और उस व्रत से अर्जित पुण्य फल को अपने पति को समर्पित कर दो. उस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारा पति राक्षस योनि से बाहर निकल आएगा.

अगले बरस जब चैत्र शुक्ल एकादशी का व्रत आया तो ललिता ने श्रृंगी ऋषि द्वारा बताए गए नियम से कामदा एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु की आराधना की. पूरे दिन कुछ नहीं खाया. रात्रि के समय में जागरण की. फिर अगले दिन पारण किया और भगवान विष्णु से इस व्रत के पुण्य को पति ललित को देने की प्रार्थना की. उसने कहा कि वह कामदा एकादशी के पुण्य को अने पति को देती है, ताकि वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाएं.

यह भी पढ़ें: कब है हनुमान जयंती? शुभ-उत्तम मुहूर्त में करें बजरंगबली की पूजा, पूरे परिवार की होगी उन्नति

श्रीहरि की कृपा से ललित राक्षस योनि से मुक्त हो गया. फिर से दोनों साथ में रहने लगे. एक दिन स्वर्ग से विमान आया और वे दोनों उस पर बैठकर स्वर्ग चले गए.

Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें