कामदा एकादशी व्रत रखकर भगवान नारायण की पूजा विधिपूर्वक की जाती है.
आज 1 अप्रैल शनिवार को कामदा एकादशी व्रत है. चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि को कामदा एकादशी व्रत रखकर भगवान नारायण की पूजा विधिपूर्वक की जाती है. इस व्रत को करने से राजा पुंडरीक के नगर में रहने वाले ललित को राक्षस योनि से मुक्ति मिली थी. उसकी पत्नी ललिता ने कामदा एकादशी व्रत के पुण्य को ललित को दान कर दिया, जिससे वह राक्षस योनि से मुक्त हुआ और दोनों बाद में स्वर्ग चले गए. कामदा एकादशी व्रत करने से पाप मिटते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कामदा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण समय.
कामदा एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त और पारण समय
चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ: 01 अप्रैल, शनिवार, 01:58 एएम से
चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 02 अप्रैल, रविवार, 04:19 एएम पर
विष्णु पूजा का शुभ-उत्तम मुहूर्त: आज, 07:45 एएम से 09:18 एएम तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 12:00 पीएम से 12:50 पीएम तक
रवि योग: आज, 06:12 एएम से कल 04:48 एएम तक.
कामदा एकादशी व्रत पारण समय: 02 अप्रैल, रविवार, दोपहर 01:40 पीएम से 04:10 पीएम
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कामदा एकादशी 2023 अशुभ समय
भद्रा का साया: आज दोपहर 03:10 पीएम से कल सुबह 04:19 एएम तक
राहुकाल: सुबह 09:18 एएम से 10:52 एएम तक
कामदा एकादशी व्रत और पूजा विधि
आज प्रात: स्नान करने के बाद साफ पीले वस्त्र पहनें. फिर सूर्य देव को लाल चंदन, लाल फूल और जल से अर्घ्य दें. उसके बाद हाथ में जल लेकर कामदा एकादशी व्रत और विष्णु पूजा का संकल्प करें. फिर शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें.
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अब गंगाजल से श्रीहरि का अभिषेक करें. उनको पीले वस्त्र, पीले फूल, कमल पुष्प, अक्षत्, पंचामृत, तुलसी का पत्ता, चंदन, पान का पत्ता, सुपारी, इलायची, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, मिठाई आदि अर्पित करते हुए पूजन करें. इस दौरान किसी भी विष्णु मंत्र का उच्चारण करें. सर्व मनोकामना पूर्ति का मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का भी जप कर सकते हैं.
इसके बाद विष्णु चालीसा का पाठ करें. फिर कामदा एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें. उसके पश्चात विष्णु भगवान की आरती करें. क्षमा प्रार्थना के बाद श्रीहरि से पापों से मुक्त कर मोक्ष देने की प्रार्थना कर सकते हैं. इसके बाद दिनभर फलाहार पर रहें. रात्रि जागरण करें.
अगले दिन सुबह स्नान ध्यान और पूजा के बाद क्षमता अनुसार दान करें. इस बार एकादशी व्रत का पारण समय दोपहर में है, इसलिए दोपहर में पारण करके व्रत को पूरा करें.
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