मान्यता है कि कार्तिक महीने में भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण किया था और इस दिन भगवान शिव ने दैत्य त्रिपुरासुर का वध किया था. इसलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. पद्म पुराण, स्कन्द पुराण और नारद पुराण में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महत्व विस्तार से बताया है. शास्त्रों में बताया गया है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से 1000 बार किए गए गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होता है. इस दिन हरिद्वार, काशी, कुरुक्षेत्र और पुष्कर में गंगा स्नान के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. कार्तिक स्नान करने से इंसान कई प्रकार के दोष से मुक्त होता है और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. यदि आप पवित्र गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो आप सुबह नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें तो भी आपको फल की प्राप्ति होगी. इस दिन लोग गरीब व जरूरतमंद लोगों को मौसमी फल, उड़द की काली दाल, चावल आदि भी दान करते हैं. इसके अलावा, किसी भूखे को भोजन करवाना भी श्रेष्ठ काम माना जाता है.