मान्यता है कि बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में भगवान शिव केदारनाथ धाम में पूजे जाते हैं.
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) में भगवान भोलेनाथ शिवलिंग रूप में विराजमान हैं. 6 मई 2022 को दर्शन के लिए केदारनाथ धाम के पट खोल दिए गए हैं. यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को कण-कण में भगवान शिव (Lord Shiva) की मौजूदगी का अनुभव होता है. उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में तीन बेहद खूबसूरत पर्वतों के बीच केदारनाथ धाम स्थित है. हर साल यहां लाखों करोड़ों की संख्या में भक्त अपने आराध्य के दर्शन पाने आते हैं.
मान्यताओं के अनुसार, केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था. बाद में इसका जीर्णोद्धार आदि शंकराचार्य ने कराया. आइए जानते हैं केदारनाथ धाम से जुड़ी कुछ रोचक बातें. भगवान भोलेनाथ की बेहद अनोखी कहानी के बारे में हमें भोपाल के रहने वाले ज्योतिष पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने बताया.
केदारनाथ धाम को लेकर यह मान्यता है कि यहां पर भगवान से भक्तों का सीधा मिलन होता है. पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि भगवान भोलेनाथ ने पांडवों को इस स्थान पर दर्शन देकर वंश व गुरु हत्या के पाप से मुक्त किया था. उसके बाद 9वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य केदारनाथ धाम से सशरीर स्वर्ग गए थे. केदारनाथ धाम में यह उल्लेख मिलता है कि कोई व्यक्ति भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ क्षेत्र की यात्रा करता है तो उसकी यात्रा सफल नहीं होती.
यह भी पढ़ें – बड़े ही जोशीले स्वभाव के होते हैं मई में जन्मे लोग, जानें उनके बारे में सब कुछ
केदारनाथ धाम की महत्वपूर्ण बातें
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले नर और नारायण ऋषि ने केदार श्रृंग पर तपस्या की थी. भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर और उनकी प्रार्थना के अनुसार हमेशा ज्योतिर्लिंग के रूप में वास करने का वर दिया था.
भगवान शिव पांडवों की भक्ति से प्रसन्न हुए थे
केदारनाथ धाम को लेकर एक अन्य कथा भी प्रचलित है कि भगवान शिव ने पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें भ्रातृहत्या से मुक्त कर दिया था. मान्यता है कि पांडव महाभारत में विजयी होने पर भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे. जिसके लिए उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद चाहिए था, परंतु भगवान उनसे रुष्ट थे. फिर पांडव भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए केदार पहुंचें. इसके बाद भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया और अन्य पशुओं के बीच चले गए.
यह भी पढ़ें – शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन करें ये 5 उपाय, मिलेंगे कई फायदे
उसके बाद भीम ने विशाल रूप धारण कर अपने पैर दो पहाडों पर फैला दिए. इस दौरान भीम के पैर के नीचे से सारे पशु निकल गए परंतु बैल बने भगवान शिव उनके पैर के नीचे से जाने को तैयार नहीं हुए. इसके बाद उस बैल पर भीम बलपूर्वक झपटे, लेकिन वो बैल भूमि में अंतर्ध्यान होने लगा. इसके बाद उस बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग भीम ने पकड़ लिया. फलस्वरूप भगवान शिव पांडवों की भक्ति और दृढ संकल्प देखकर प्रसन्न हुए और उनको दर्शन देकर पाप मुक्त किया. मान्यता है कि तब से बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में भगवान शिव केदारनाथ धाम में पूजे जाते हैं.
.
Tags: Dharma Aastha, Kedarnath, Kedarnath Dham, Kedarnath Temple, Lord Shiva