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Lakshmi Ganesh Puja: माता लक्ष्मी के साथ क्यों होती गणेश जी की पूजा? पढ़ें यह पौराणिक कथा

मां लक्ष्मी के साथ होती है गणेश जी की पूजा.

मां लक्ष्मी के साथ होती है गणेश जी की पूजा.

Lakshmi Ganesh Puja: आप सभी को पता है कि किसी भी शुभ कार्य के लिए सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. सबसे पहले उनको ...अधिक पढ़ें

    Lakshmi Ganesh Puja: आप सभी को पता है कि किसी भी शुभ कार्य के लिए सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. सबसे पहले उनको ही आमंत्रित किया जाता है. क्या आपको पता है कि धन और वैभव की देवी माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) के साथ गणेश जी  (Lord Ganesha) की पूजा क्यों होती है? शास्त्रों में कहा गया है कि जहां पर बुद्धि होता है, ज्ञान होता है, वहीं पर लक्ष्मी यानी धन का सही उपयोग होता है. गणेश जी ज्ञान और बुद्धि के भंडार हैं और माता लक्ष्मी धन-धान्य देने वाली. गणेश जी और लक्ष्मी जी की साथ पूजा करने के बारे में अलग-अलग पौराणिक कथाएं और कारण हैं. आज आपको इससे जुड़ी एक कथा के बारे में बताते हैं.

    एक समय की बात है. माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु बैठे हुए थे. माता लक्ष्मी को इस बात का अभिमान हो गया कि पूरी सृष्टि धन-धान्य के लिए उनकी ही पूजा करती है. भगवान विष्णु तो अंतर्यामी हैं. वे लक्ष्मी जी के मन की बात समझ गए और उनके अभिमान को तोड़ने के लिए कहा कि वे धन-धान्य, वैभव, समृद्धि, संपदा आदि से परिपूर्ण हैं, लेकिन एक स्त्री होते हुए अपूर्ण हैं.

    यह बात सुनकर लक्ष्मी जी हैरत में पड़ गईं और उनको दुख भी हुआ कि प्रभु श्रीहरि ऐसा कह रहे हैं. उन्होंने उनसे पूछा कि वे अपूर्ण क्यों हैं? इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि आपकी कोई संतान नहीं है. कोई स्त्री तभी पूर्ण होती है, जब उसे मातृत्व सुख मिलता है. यह बात सुनकर वह काफी दुखी हो गईं.

    एक दिन उन्होंने माता पार्वती से अपने मन की व्यथा कही. साथ ही उन्होंने माता पार्वती से निवेदन किया कि उनके तो दो पुत्र कार्तिकेय एवं गणेश हैं. उनमें से वे उन्हें गणेश जी को पुत्र रुप में गोद लेने की अनुमति दें. माता पार्वती लक्ष्मी जी को मना न कर सकीं. माता लक्ष्मी ने गणेश जी को गोद ले लिया. इस तरह से भगवान गणेश माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र बन गए.

    गणेश जी पुत्र स्वरुप में पाने से माता लक्ष्मी को अपनी पूर्णता का एहसास हुआ. इससे वे बहुत प्रसन्न हुईं. उन्होंने गणेश जी को वरदान दिया कि अब जहां उनकी पूजा होगी, वहां गणपति की भी पूजा होगी. जहां पर ऐसा नहीं होगा, वहां पर वह नहीं रहेंगी.

    इस प्रकार से माता लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा करने का विधान बन गया. इस कारण से जब भी कोई नए बिजनेस का प्रारंभ करते हैं, तो माता लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है.

    (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)

    Tags: Dharma Aastha, Spirituality

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