Magh Maas 2021 Date: कब से शुरू हो रहा है पवित्र माघ मास? जानें महत्व और कथा

माघ मास की कथा
Magh Maas 2021 Date: माघ माह में स्नान करने से सुख-सौभग्य,धन-संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है. माघ माह में ही संगम तट पर और गंगा नदी के किनारे कई श्रद्धालू कल्पवास करते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: January 27, 2021, 7:02 AM IST
Magh Maas 2021 Date: माघ माह 29 जनवरी, शुक्रवार से शुरू हो रहा है. माघ मास का समापन 27 फरवरी, 2021 को होगा. माघ माह को स्नान, दान कर पुण्य अर्जित करने के लिए श्रेष्ठ माना गया है. पौष पूर्णिमा (28 जनवरी) से माघ स्नान की शुरुआत होगी और माघ पूर्णिमा को समापन. हिंदू धर्म में माघ माह की काफी महिमा बतायी गई है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माघ माह में जहां कहीं भी जल हो माना जाता है कि वह गंगाजल के समान पवित्र हो जाता है. यह भी मान्यता है कि जो भक्त माघ माह में गंगा स्नान करता हैं लक्ष्मीपति भगवान विष्णु जातक पर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.
माघ माह में स्नान करने से सुख-सौभग्य,धन-संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है. माघ माह में ही संगम तट पर और गंगा नदी के किनारे कई श्रद्धालू कल्पवास करते हैं. आइए जानते हैं तन और मन को पावन कर देने वाले ऐसे पवित्र माघ माह की कथा...
माघ माह की कथा:
प्राचीन काल में नर्मदा तट पर शुभव्रत नामक ब्राह्मण निवास करते थे. वे सभी वेद शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता थे. किंतु उनका स्वभाव धन संग्रह करने का अधिक था. उन्होंने धन तो बहुत एकत्रित किया. वृद्घावस्था के दौरान उन्हें अनेक रोगों ने घेर लिया. तब उन्हें ज्ञान हुआ कि मैंने पूरा जीवन धन कमाने में लगा दिया अब परलोक सुधारना चाहिए. वह परलोक सुधारने के लिए चिंतातुर हो गए.Also Read: Paush Purnima 2021: पौष पूर्णिमा से कल्पवास की होगी शुरुआत, जानें कब है पौष पूर्णिमा और कल्पवास का महत्व
अचानक उन्हें एक श्लोक याद आया जिसमें माघ मास के स्नान की विशेषता बताई गई थी. उन्होंने माघ स्नान का संकल्प लिया और 'माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति..'
इसी श्लोक के आधार पर नर्मदा में स्नान करने लगे. नौ दिनों तक प्रात: नर्मदा में जल स्नान किया और दसवें दिन स्नान के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया.
शुभव्रत ने जीवन भर कोई अच्छा कार्य नहीं किया था लेकिन माघ मास में स्नान करके पश्चाताप करने से उनका मन निर्मल हो गया. माघ मास के स्नान करने से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई. इस तरह जीवन के अंतिम क्षणों में उनका कल्याण हो गया. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
माघ माह में स्नान करने से सुख-सौभग्य,धन-संतान और मोक्ष की प्राप्ति होती है. माघ माह में ही संगम तट पर और गंगा नदी के किनारे कई श्रद्धालू कल्पवास करते हैं. आइए जानते हैं तन और मन को पावन कर देने वाले ऐसे पवित्र माघ माह की कथा...
माघ माह की कथा:
प्राचीन काल में नर्मदा तट पर शुभव्रत नामक ब्राह्मण निवास करते थे. वे सभी वेद शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता थे. किंतु उनका स्वभाव धन संग्रह करने का अधिक था. उन्होंने धन तो बहुत एकत्रित किया. वृद्घावस्था के दौरान उन्हें अनेक रोगों ने घेर लिया. तब उन्हें ज्ञान हुआ कि मैंने पूरा जीवन धन कमाने में लगा दिया अब परलोक सुधारना चाहिए. वह परलोक सुधारने के लिए चिंतातुर हो गए.Also Read: Paush Purnima 2021: पौष पूर्णिमा से कल्पवास की होगी शुरुआत, जानें कब है पौष पूर्णिमा और कल्पवास का महत्व
अचानक उन्हें एक श्लोक याद आया जिसमें माघ मास के स्नान की विशेषता बताई गई थी. उन्होंने माघ स्नान का संकल्प लिया और 'माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति..'
इसी श्लोक के आधार पर नर्मदा में स्नान करने लगे. नौ दिनों तक प्रात: नर्मदा में जल स्नान किया और दसवें दिन स्नान के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया.
शुभव्रत ने जीवन भर कोई अच्छा कार्य नहीं किया था लेकिन माघ मास में स्नान करके पश्चाताप करने से उनका मन निर्मल हो गया. माघ मास के स्नान करने से उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई. इस तरह जीवन के अंतिम क्षणों में उनका कल्याण हो गया. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)