Magh Pradosh Vrat 2021: कब है माघ प्रदोष व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

प्रदोष व्रत का विधि पूर्वक पालन करने और भगवान शिव की पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है और पापों से मुक्ति मिलती है.
Magh Pradosh Vrat 2021: इस बार माघ महीने में शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत 24 फरवरी 2021 (बुधवार) को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) का पूजन अत्यंत फलदायी होता है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 22, 2021, 12:56 PM IST
Magh Pradosh Vrat 2021: हिन्दू धर्म में पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है. हर एक त्योहार और व्रत किसी ईश्वर पर आधारित होता है और उस दिन पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इसी प्रकार प्रदोष व्रत का भी हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. प्रदोष व्रत किसी भी माह की त्रयोदशी तिथि को होता है. पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. कहा जाता है इस दिन श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं माघ महीने का शुक्ल पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत कब है और इसका क्या महत्व है.
माघ शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत की तिथि
इस बार माघ महीने में शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत 24 फरवरी 2021 (बुधवार) को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन अत्यंत फलदायी होता है. प्रदोष व्रत की पूजा मुख्य रूप से प्रदोष काल में की जाती है. मान्यतानुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन एक साथ करने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलने के साथ ही व्यक्ति का मन भी पवित्र होता है. हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है और शिव पुराण में भी इस व्रत की विशेष महिमा बताई गई है.
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24 फरवरी 2021 (बुधवार)
माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 24 फरवरी (बुधवार) को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 25 फरवरी (गुरुवार) को शाम 05 बजकर 18 मिनट पर
इस प्रकार त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल 24 फरवरी की पड़ने की वजह से इसी दिन शिव पूजन और व्रत करना फलदायी होगा.
पूजा-विधि
-प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें.
-पूजा के स्थान या घर के मंदिर को अच्छी तरह से साफ करें और शिव जी की मूर्ति को स्नान कराएं.
-गंगा जल से पूजा स्थान को पवित्र करें.
-एक चौकी में सफेद कपड़ा बिछाकर शिव मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें.
-भगवान शिव को चंदन लगाएं और नए वस्त्रों से सुसज्जित करें.
-शिव प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर फूल, धतूरा और भांग चढ़ाएं या ताजे फलों का भोग अर्पित करें.
-सुबह पूजन करने के पश्चात पूरे दिन व्रत का पालन करें और फलाहर ग्रहण करें.
-प्रदोष काल में शिव पूजन करें, प्रदोष व्रत की कथा सुनें व पढ़ें और सफेद चीजों का भोग अर्पित करें.
-पूजन के समय संभव हो तो सफेद वस्त्र धारण करें.
-शिव जी की आरती करने के बाद भोग सभी को वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें.
-व्रत करने वालों को एक समय ही भोजन करना चाहिए और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.
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प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत का विधि पूर्वक पालन करने और भगवान शिव की पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है और पापों से मुक्ति मिलती है. यही नहीं जो स्त्रियां संतान की इच्छा रखती हैं उनके लिए भी यह व्रत अत्यंत फलदायी होता है. यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फलदायी होता है. विवाह की इच्छा रखने वाली कन्याओं को यह व्रत करने से अच्छे वर की प्राप्ति होती है और घर में लड़ाई झगड़ों का समापन होता है.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
माघ शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत की तिथि
इस बार माघ महीने में शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत 24 फरवरी 2021 (बुधवार) को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन अत्यंत फलदायी होता है. प्रदोष व्रत की पूजा मुख्य रूप से प्रदोष काल में की जाती है. मान्यतानुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन एक साथ करने से कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिलने के साथ ही व्यक्ति का मन भी पवित्र होता है. हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है और शिव पुराण में भी इस व्रत की विशेष महिमा बताई गई है.
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24 फरवरी 2021 (बुधवार)
माघ शुक्ल त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 24 फरवरी (बुधवार) को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 25 फरवरी (गुरुवार) को शाम 05 बजकर 18 मिनट पर
इस प्रकार त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल 24 फरवरी की पड़ने की वजह से इसी दिन शिव पूजन और व्रत करना फलदायी होगा.
पूजा-विधि
-प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें.
-पूजा के स्थान या घर के मंदिर को अच्छी तरह से साफ करें और शिव जी की मूर्ति को स्नान कराएं.
-गंगा जल से पूजा स्थान को पवित्र करें.
-एक चौकी में सफेद कपड़ा बिछाकर शिव मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें.
-भगवान शिव को चंदन लगाएं और नए वस्त्रों से सुसज्जित करें.
-शिव प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर फूल, धतूरा और भांग चढ़ाएं या ताजे फलों का भोग अर्पित करें.
-सुबह पूजन करने के पश्चात पूरे दिन व्रत का पालन करें और फलाहर ग्रहण करें.
-प्रदोष काल में शिव पूजन करें, प्रदोष व्रत की कथा सुनें व पढ़ें और सफेद चीजों का भोग अर्पित करें.
-पूजन के समय संभव हो तो सफेद वस्त्र धारण करें.
-शिव जी की आरती करने के बाद भोग सभी को वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें.
-व्रत करने वालों को एक समय ही भोजन करना चाहिए और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.
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प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत का विधि पूर्वक पालन करने और भगवान शिव की पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है और पापों से मुक्ति मिलती है. यही नहीं जो स्त्रियां संतान की इच्छा रखती हैं उनके लिए भी यह व्रत अत्यंत फलदायी होता है. यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फलदायी होता है. विवाह की इच्छा रखने वाली कन्याओं को यह व्रत करने से अच्छे वर की प्राप्ति होती है और घर में लड़ाई झगड़ों का समापन होता है.(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)