महाभारत युद्ध के 14वें दिन पांडवों की ओर से भीम के पुत्र घटोत्कच ने कौरवों से लड़ाई लड़ी थी.
Mahabharat: महाभारत के युद्ध के 14वें दिन पांडवों की ओर से भीम के पुत्र घटोत्कच ने कौरवों से लड़ाई लड़ी थी. घटोत्कच एक राक्षस था और राक्षस रात्रि के समय युद्ध ज्यादा करते थे. घटोत्कच रावण के समान मायावी था. वह अंतर्ध्यान भी हो जाता था. उसके पास तरह-तरह के घातक हथियार थे और वह खुद ही अपनी राक्षसी सेना प्रकट कर लेता था.
14वें दिन टूटा नियम
महाभारत के हवाले से पंडित रामचंद्र जोशी ने बताया कि महाभारत युद्ध का नियम यह था कि युद्ध सूरज ढलते ही बंद हो जाया करेगा. मगर, भीष्म के वध के बाद बहुत से नियम भंग हो चुके थे. उनमें से यह एक नियम 14वें दिन भंग हुआ था. उस रोज युद्ध सूर्यास्त के बाद भी आधी रात तक चलता रहा. उस युद्ध की बड़ी वजह स्वयं श्रीकृष्ण की माया थी.
दरअसल, भीष्म वध 10वें दिन हुआ था और 11वें दिन कर्ण युद्धभूमि में कौरवों की ओर से लड़ने पहुंचा. श्रीकृष्ण जानते थे कि कर्ण के पास इंद्रदेव की दी हुई वासवी शक्ति है. उस शक्ति से कर्ण अर्जुन को मारने का प्रण किए हुए था. उस शक्ति का तोड़ अर्जुन समेत किसी भी योद्धा के पास नहीं था, इसलिए श्रीकृष्ण ने उस शक्ति को किसी अन्य योद्धा पर छुड़वाने का निश्चय किया.
यह भी पढ़ें: काली बिल्ली का दिखाई देना होता है शुभ-अशुभ, मिलते हैं कई संकेत
यह भी पढ़ें – घर की पुरानी झाड़ू को कहां रखें? जानें, क्या कहता है वास्तु शास्त्र
कौरव सेना में मची त्राहि- त्राहि
पांडवों की सेना में उस वक्त अर्जुन के अलावा कर्ण को टक्कर देने वाला योद्धा घटोत्कच था. श्रीकृष्ण ने घटोत्कच को कहा कि तुम कर्ण को आज मार डालो. घटोत्कच ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर कौरवों पर आक्रमण किया. घटोत्कच की मार से कौरव सेना में त्राहि-त्राहि मच गई. कौरव पक्ष का कोई भी महारथी घटोत्कच को नहीं मार सका.
उस समय सेनापति द्रोणाचार्य थे, वे भी घटोत्कच को पराजित नहीं कर पाए. दुर्योधन ने तब कर्ण को कहा कि वह किसी भी तरह घटोत्कच को मार भगाए. कर्ण धर्नुविद्या में घटोत्कच से बढ़कर था, किंतु घटोत्कच मायावी था और तरह-तरह की माया रचकर भम्र में डाल देता था, इसलिए कर्ण भी मुश्किल से टिक पा रहा था.
कर्ण की वासवी शक्ति से हुआ घटोत्कच का वध
सूर्यास्त होने पर पांडव सेना तो विश्राम कर रही थी, लेकिन घटोत्कच बिना रुके रात को भी लड़ा. रात में घटोत्कच की शक्ति बहुत बढ़ गई थी. कौरव पक्ष को लगने लगा था कि अब वे सब उसके हाथेां मारे जाएंगे. अंत: में कर्ण को उसे मारने के लिए अपनी वासवी शक्ति उस पर छोड़नी पड़ी. इस प्रकार आधी रात को घटोत्कच का अंत हुआ.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Dharma Aastha, Dharma Culture, Mahabharat, Religious