मई 2022 का तीसरा सप्ताह 15 तारीख से शुरु हो रहा है, जो 21 मई शनिवार तक है. इस सप्ताह में सूर्य का राशि परिवर्तन (Surya Rashi Parivartan) और साल का पहला चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) लगने वाला है. इस हफ्ते वृष संक्रांति, बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima), वैशाख पूर्णिमा व्रत, ज्येष्ठ माह का प्रारंभ, एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत और कालाष्टमी व्रत आने वाले हैं. यह सप्ताह धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. इसमें बौद्ध धर्म का सबसे महत्वपूर्ण दिन बुद्ध पूर्णिमा है, इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म दिवस है. आइए जानते हैं कि ये सभी व्रत एवं त्योहार कब और किस दिन हैं.
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15 मई, दिन: रविवार: वृष संक्रांति या सूर्य का राशि परिवर्तन
सूर्य राशि परिवर्तन 2022: सूर्य का राशि परिवर्तन 15 मई को होना है. इस दिन सूर्य का मेष राशि से वृष राशि में गोचर होगा. सूर्य के वृष राशि में प्रवेश करने की घटना वृष संक्रांति कहलाती है. 15 मई से 15 जून तक सूर्य वृष राशि में ही विद्यमान रहेंगे.
16 मई, दिन: सोमवार: चंद्र ग्रहण, वैशाख पूर्णिमा व्रत, बुद्ध पूर्णिमा
चंद्र ग्रहण 2022: साल का पहला चंद्र ग्रहण 16 मई को लगने वाला है. यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा. इस स्थिति में आप अपने सभी कार्य कर सकते हैं. इस दिन कोई पाबंदी नहीं होगी.
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वैशाख पूर्णिमा व्रत 2022: वैशाख पूर्णिमा व्रत 16 मई को रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु, चंद्र देव और यमराज की पूजा की जाती है. यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु का डर दूर होता है. इस रात माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन दौलत में वृद्धि होती है.
बुद्ध पूर्णिमा 2022: इस वर्ष बुद्ध पूर्णिमा 16 मई को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. वैशाख पूर्णिमा को ही बुद्ध पूर्णिमा कहते हैं. इस तिथि को ही बुद्ध भगवान का जन्म, निधन और ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. भगवान बुद्ध के जीवन की तीन बड़ी घटनाएं इस एक तिथि को अलग अलग वर्ष में हुई थी.
17 मई, दिन: मंगलवार: ज्येष्ठ माह प्रारंभ
ज्येष्ठ माह 2022: 17 मई दिन मंगलवार से हिंदू कैलेंडर का तीसरा माह ज्येष्ठ का प्रारंभ हो रहा है. इस माह में सूर्य देव की पूजा करने और रविवार व्रत रखने का विधान है. इस माह में जल और पंखा दान करने से पुण्य मिलता है.
19 मई, दिन: गुरुवार: एकदंत संकष्टी चतुर्थी
एकदंत संकष्टी चतुर्थी 2022: ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत 19 मई दिन गुरुवार को है. इस दिन गणेश जी की पूजा करते हैं और रात के समय में चंद्रमा को जल अर्पित करते हैं. चंद्रमा की पूजा के बिना संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण नहीं होता है. इस व्रत को करने से सभी प्रकार के दुख और संकट दूर होते हैं. भगवान गणेश की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news 18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
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Tags: Buddha Purnima, Chandra Grahan, Dharma Aastha