अनूप पासवान
कोरबा. चैत्र नवरात्र का आगाज होने के साथ ही छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला शक्ति की आराधना में जुट गया है. लोक कल्याण की कामना के लिए जगह-जगह मां आदिशक्ति की पूजा-अर्चना हो रही है. माता के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए लोग सर्वमनोकामना जोत भी जलवा रहे है. कोरबा के सीतामणी में मौजूद राम जानकी मंदिर में जोत जलाने की अनोखी परंपरा है. इसका निर्वहन पिछले कई दशकों से किया जा रहा है. यहां सैकड़ों या हजारों की संख्या में नहीं, बल्कि एक ही जोत जलती है, वो भी घी की. घी की जोत जलाने के पीछे एक अनोखी कहानी है.
इस क्षेत्र के लोगों के लिए प्राचीन राम जानकी मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. श्रीराम गुफा के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में हर साल नवरात्र के दौरान सर्वमनोकामना जोत प्रज्जवलित की जाती है. यहां जोत जलाने की अनोखी परंपरा है. यहां केवल एक घी की जोत जलाई जाती है. इस मंदिर में भक्तों से नाम मात्र की दक्षिणा ली जाती है और उसके नाम से एक धागा लिया जाता है.
भक्तों की संख्या के हिसाब से सभी धागों को आपस में पिरोकर एक बाती बनाई जाती है और उसी से पूरे नौ दिन घी के जोत जलाए जाते हैं. अमीर-गरीब जात-पात का भेदभाव किए बगैर घी के जोत जलाने की परंपरा लंबे समय से कायम है. इसको मंदिर के पुजारी ने आज तक कायम रखा है.
वैसे तो पूरे वर्ष यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र के समय यहां भक्तों की भीड़ काफी बढ़ जाती है. इस मंदिर को लेकर भक्तों में खासा लगाव है. नियमित रुप से मंदिर आने वाले भक्त बताते हैं कि यहां सच्चे मन से मांगी कई हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.
कोरबा जिले में तो वैसे कई शक्तिस्थल है, जो भक्तों की आस्था का केंद्र बिंदु हैं, लेकिन राम जानकी का यह मंदिर कई मायनों में महत्वपूर्ण है. जोत जलाने की अनोखी परंपरा के साथ-साथ प्राचीन गुफा में भगवान राम के रुकने की मान्यता के कारण यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. चैत्र नवरात्र के नौ दिन तक यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहेगी. सभी माता के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं.
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