जो पापांकुशा एकादशी व्रत करता है, उसे यमलोक के कष्टों को नहीं भोगना पड़ता है.
पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi) आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस व्रत के दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा करते हैं. इस व्रत को रखने और पूजा करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है. भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा था कि यह एकादशी व्रत सभी लोगों को रखना चाहिए. जो इस व्रत को रखता है, वह पापों से मुक्त हो जाता है. उसके जीवन में धन, धान्य और सुख की कोई कमी नहीं रहती है. जो इस व्रत को नियमपूर्वक करता है उसे सुंदरजीवन साथी प्राप्त होता है और मृत्यु के बाद वह स्वर्ग लोक में स्थान पाता है. जो पापांकुशा एकादशी व्रत करता है, उसे यमलोक के कष्टों को नहीं भोगना पड़ता है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डाॅ. गणेश मिश्र से जानते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत की तिथि, पूजा मुहूर्त आदि के बारे में.
पापांकुशा एकादशी व्रत 2022 तिथि
पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 05 अक्टूबर दिन बुधवार को दोपहर 12ः00 बजे से हो रहा है. इस तिथि का समापन अगले दिन 06 अक्टूबर गुरुवार को सुबह 09 बजकर 40 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि को देखने से पापांकुशा एकादशी व्रत 06 अक्टूबर को रखा जाएगा.
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पापांकुशा एकादशी व्रत 2022 पूजा मुहूर्त
व्रत के दिन चैघड़िया मुहूर्त की बात की जाए तो सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 45 मिनट तक शुभ उत्तम मुहूर्त है. इस समय में आप पापांकुशा एकादशी व्रत की पूजा कर सकते हैं. इसके अलावा चर सामान्य सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक है.
लाभ उन्नति का मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से दोपहर 01 बजकर 37 मिनट तक है. इन शुभ समयों पर आप पापांकुशा एकादशी व्रत की पूजा कर सकते हैं.
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पापांकुशा एकादशी व्रत 2022 पारण समय
जो लोग 06 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी व्रत रखेंगे, वे लोग इस व्रत का पारण अगले दिन 07 अक्टूबर शुक्रवार को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 26 मिनट के मध्य कर लेंगे. इस दिन द्वादशी तिथि का समापन सुबह 07 बजकर 26 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में व्रत का पारण द्वादशी के समापन से पूर्व कर लेना उचित रहता है.
पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व
1. इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है.
2. इस व्रत के पुण्य प्रभाव से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, मृत्यु के बाद स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है.
3. जो पापांकुशा एकादशी व्रत रखता है, उसे उत्तम सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
4. जो इस व्रत को नहीं करता है, उसके शरीर में पाप का वास होता है.
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