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इंद्र के पद पर बैठे राजा नहुष ने की ऐसी गलती, मिला अजगर योनि में रहने का श्राप

राजा नहुष के अजगर बनने की कथा, image-canva

राजा नहुष के अजगर बनने की कथा, image-canva

राजा नहुष धर्मात्मा व प्रजा सेवक था. देवराज इंद्र के छुपने पर देवताओं ने उसे देवराज के सिंहासन पर बिठा दिया था. लेकिन उ ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

राजा नहुष वीर, तेजस्वी तथा प्रजा की सेवा करने वाला धर्मात्मा राजा था.
जब ब्रह्म हत्या के दोष से इंद्र छुप गए, तब देवताओं ने नहुष को इंद्रासन पर बिठा दिया.
युधिष्ठिर ने राजा नहुष को अजगर योनि से मुक्ति दिलाई थी.

बड़ा पद पाकर हर किसी को अहंकार हो जाता है. पुराणों में भी इस संबंध में ऐसी कई कथाएं हैं. इनमें एक कथा राजा नहुष की भी है, जो कभी धर्मात्मा राजा था, पर इंद्र का पद पाते ही वह धर्म को भूल गया. ऋषि अगस्त्य को ठोकर मारने पर उसे अजगर बनने का श्राप मिला. आइए आज आपको उस राजा की पूरी कथा बताते हैं.

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राजा नहुष की कथा
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार, राजा नहुष वीर, तेजस्वी तथा प्रजा की सेवा करने वाला धर्मात्मा राजा था. जब ब्रह्म हत्या के दोष से  इंद्र छुप गए, तब देवताओं ने नहुष को देवराज के सिंहासन पर बिठा दिया. इंद्र का पद पाकर राजा नहुष में अहंकार व अधर्म घर कर गया. एक दिन इंद्र की रानी शचि पर उसकी नीयत बिगड़ गई.

उसने शचि को अपने महल में बुलाया. जब शचि को उसकी नीयत का पता लगा तो वह इंद्र का पता लगाकर उनके पास गईं और अपने पतिव्रता धर्म की रक्षा चाही. इस पर इंद्र ने शचि को सलाह दी कि वह राजा नहुष को सप्त ऋषियों की दिव्य सवारी पर चढ़कर आने पर ही उसके अधीन होने का संदेश भिजवाएं.

 शचि के कहने पर नहुष देवर्षि और महर्षि से पालकी उठवा कर इंद्राणी के पास चला. इस दौरान ऋषियों के धीमी गति से चलने पर नहुष ने गुस्से में अगस्त्य ऋषि को लात मार दी. इस पर गुस्से में ऋषि अगस्त्य ने अधर्मी नहुष को दस हजार वर्षों तक अजगर योनि में रहने का श्राप दे दिया. जब नहुष ने अपनी गलती मानकर सर्प योनि से बचने का उपाय पूछा तो ऋषि अगस्त्य ने उसे मुक्ति का उपाय बताया. उन्होंने कहा कि जो भी तुम्हारे पूछे प्रश्नों का उत्तर देगा, वही तुम्हें श्राप से मुक्त करा सकेगा.

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युधिष्ठिर ने कराया मुक्त
महाभारत काल में जब पांडव जुए में हार कर वनवास में थे, तब अजगर बने नहुष ने भीम को पकड़ लिया था. महाराज युधिष्ठिर वहां पहुंचे तो अजगर ने सवालों के जवाब मिलने पर ही भीम को छोड़ने की बात कही. इसके बाद युधिष्ठिर ने अजगर के सभी सवालों के जवाब देकर भीम को मुक्त कराया. इसके साथ ही राजा नहुष भी अजगर योनि से मुक्त होकर स्वर्ग लोक चला गया.

Tags: Dharma Aastha, Mahabharat, Religion

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