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राम नवमी का पावन पर्व आज, पूजा के समय करें स्तुति और वंदना, आप पर होगी प्रभु राम की कृपा

चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को प्रभु राम का जन्म हुआ था. (Photo: Freepik)

चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को प्रभु राम का जन्म हुआ था. (Photo: Freepik)

ram navami 2023 puja: आज 30 मार्च गुरुवार को राम नवमी का पावन पर्व है. आज सबसे पहले रामलाल की पूजा अक्षत्, फूल, चंदन, फ ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

आज देशभर के राम मंदिरों में प्रभु राम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
राम नवमी के अवसर पर भगवान राम की पूजा करने से आपके कार्य सफल होंगे.

आज 30 मार्च गुरुवार को राम नवमी का पावन पर्व है. आज देशभर के राम मंदिरों में प्रभु राम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. राम नवमी के अवसर पर आप व्रत रखें और भगवान प्रभु राम की पूजा करें. इससे आपके कार्य सफल होंगे और मनोकामनाओं की पूर्ति होगी. कहा जाता है कि आप पर भगवान राम की कृपा हो गई तो हनुमान जी आप से तो सहज ही प्रसन्न हो जाएंगे क्योंकि वे भी प्रभु राम के परम भक्त हैं.

काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, आज राम नवमी के दिन पूजा करते समय आप रामचरितमानस का पूरा पाठ नहीं पढ़ सकते हैं तो आप केवल ​तीन काम करें. सबसे पहले रामलाल की पूजा अक्षत्, फूल, चंदन, फल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से करें. उसके बाद पहला काम करें राम वंदना. फिर प्रभु राम की स्तुति करें. उसके पश्चात जन्मोत्सव के समय श्रीरामावतार प्रगट भए ​कृपाला दीन दयाला कौसल्या हितकारी…पढ़ें. इन तीनों का पाठ करने से आपको श्रीराम जी की पूजा का लाभ प्राप्त होगा. प्रभु राम की कृपा आप पर रहेगी.

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श्री राम वंदना
आपदामपहर्तारं दातारां सर्वसम्पदाम्।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो-भूयो नामाम्यहम्।।
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे।
रघुनाथरय नाथाय सीताया: पतये नम:।।

नीलांबुजश्यामलकोमलांग
सीतासमारोपितवामभागम्।
पाणौ महासायकचारुचापं
नमामि रामं रघुवंशनाथम्।।

श्रीराम स्तुति
श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं।
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील नीरज सुन्दरम्।
पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकंदनम्।
रघुनंद आनंदकंद कोशलचंद दशरथ-नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरदूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनम्।
मम ह्रदय-कुंज निवास कुरु, कामादी खल-दल-गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनी पुनी मुदित मन मंदिर चली।।

सोरठा
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

….सियावर रामचंद्र की जय…..

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श्रीरामावतार
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।

लोचन अभिरामा, तनु घनस्‍यामा, निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी।।

कह दुई कर जोरी, अस्‍तुति तोरी, केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्‍यानातीत अमाना, वेद पुरान भनंता।।

करूना सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी, जन अनुरागी, भयउ प्रगट श्रीकंता।।

ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहै॥

उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥

माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला, यह सुख परम अनूपा॥

सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना, होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं, ते न परहिं भवकूपा॥

Tags: Dharma Aastha, Ram Navami

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