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Ramadan 2023: कब से शुरू हो रहे रमजान? अलीगढ़ के मौलाना साजिद से जानें अशरें, इफ्तार और सहरी

Ramadan 2023: रमजान का पवित्र म​हीना 23 मार्च 2023 से शुरू हो सकता है.

Ramadan 2023: रमजान का पवित्र म​हीना 23 मार्च 2023 से शुरू हो सकता है.

Ramadan 2023: अलीगढ़ के मौलाना साजिद ने बताया कि इस साल रमजान का पवित्र म​हीना 23 मार्च 2023 से शुरू हो सकता है. जबकि 2 ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट- वसीम अहमद

अलीगढ़. इस्लाम में रमजान माह (Ramadan 2023) को पवित्र महीना मानते हैं. इस माह में लोग सभी प्रकार की बुराइयों से दूर रहते हैं. मुस्लिम रमजान माह को अल्लाह से अपनी नजदीकियों को बढ़ाने का अवसर मानते हैं. इस माह में रोजा रखकर खुदा की इबादत की जाती है. वहीं, अल्लाह अपने बंदों को रहमतें एवं बरकतें देते हैं. सूरज निकलने से लेकर सूरज के ढलने तक रोजा रखा जाता है.

रमजान के पाक महीने की जानकारी देते हुए अलीगढ़ के मौलाना साजिद बताते हैं कि इस साल रमजान का पवित्र म​हीना 23 मार्च 2023 से शुरू हो सकता है. वहीं, 24 मार्च 2023 से रोजा रखा जा सकता है. साथ ही उन्‍होंने बताया कि रमजान का चांद दिखने के अगले दिन से रोजा शुरू होता है.

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रमजान माह क्यों है पवित्र
न्यूज़ 18 लोकल से बात करते हुए मौलाना साजिद अली ने कहा, ‘इस्लामिक मान्यता है कि इस माह में खुदा से मोहम्मद साहब को कुरान की आयतें मिली थीं, तब से इस्लामी कैलेंडर के 9वें माह रमजान को पवित्र मानते हैं.’ साथ ही उन्‍होंने बताया कि इसमें खुदा की इबादत के लिए रोजा रखते हैं. करीब 30 दिन तक रोजा रखा जाता है और अंतिम दिन ईद-उल-फितर मनाते हैं. रमजान माह के 30 दिन 3 अशरों यानी हिस्सों में बंटे हुए हैं. रमजान के तीन अशरे रहमत, बरकत और मगफिरत हैं.

रमजान की ये हैं 3 अशरें
मौलाना साजिद अली के मुताबिक, रमजान के पहले 10 दिन रहमत के होते हैं. इसमें खुदा की इबादत, नमाज और दान करते हैं. यह पहला अशरा होता है. रमजान का दूसरा अशरा भी 10 दिन का होता है. इसमें जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए माफी मांगी जाती है. नेक बंदों को खुदा रहमत और बरकत देते हैं. रमजान के आखिरी 10 दिन तीसरा अशरा होता है, इसमें लोग खुदा से दुआ करते हैं कि उनको उनके किए पापों से मुक्ति मिले और मृत्यु के बाद उन्हें अल्लाह की पनाह मिले.

रमजान में सहरी और इफ्तार
मौलाना साजिद अली ने बताया कि रमजान माह में रोजा रखने वाले बंदे सूरज निकलने से पूर्व भोजन, फल आदि खाते हैं. इसे सहरी कहते हैं. सहरी करने के बाद पूरे दिन कुछ भी खाना या पीना मना होता है. बढ़ती गर्मी रोजेदारों के लिए एक चुनौती होती है. ऐसे में खुदा अपने बंदों की परीक्षा लेते हैं. शाम के समय नमाज पढ़ी जाती है और सूरज ढलने के बाद इफ्तार किया जाता है. रोजा रखने का मकसद स्वयं के अंदर झांकने का मौका होता है. वह अपनी बुराइयों को दूर करता है और एक नेक इंसान बनने के लिए इबादत करता है. नेक बंदों पर ही खुदा की रहमत और बरकत होती है.

Tags: Aligarh news, Ramadan, Ramzan

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