कपूर से आरती करने वाले व्यक्ति को अनंत में प्रवेश मिलता है.
Aarti Karne Ke Niyam : सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा के समय आरती को विशेष महत्व दिया जाता है. हिंदू धर्म की कोई भी पूजा या धार्मिक अनुष्ठान आरती के बिना अधूरे माने गए हैं. नियमित पूजा मंदिर में हो या फिर घर में, सभी में आरती करना महत्वपूर्ण होता है. ऐसा माना जाता है कि आरती के बाद ही पूजा संपन्न होती है और उस पूजा का पर्याप्त फल प्राप्त होता है. आरती पूजा के अंत में की जाती है लेकिन आरती करने की भी हिंदू धर्म पुराणों में सही विधि और नियम बताए गए हैं. चलिए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से धर्म ग्रंथों, पुराणों और शास्त्रों में आरती से जुड़े कुछ नियमों के बारे में.
हिंदू धर्म शास्त्रों में आरती के दीपक को घुमाने के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार सबसे पहले भगवान के चरणों का चार बार, नाभि का दो बार, मुख की तरफ एक बार और सिर से लेकर चरणों तक सात बार आरती की जानी चाहिए. इस तरह आरती कुल 14 बार घुमाई जानी चाहिए, ऐसा शास्त्रों में उल्लेख मिलता है.
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शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि आरती को कभी भी सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए. आरती करने से पहले और आरती करने के बाद आरती के दीपक को किसी थाली या फिर किसी ऊंची जगह में ही रखना चाहिए. दीपक जलाने के बाद और जलाने से पहले अपने हाथों को अवश्य धोना चाहिए.
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक किसी भी पूजा पाठ में देवी-देवताओं की आरती करने के बाद जल से आचमन जरूर करवाना चाहिए. इसके लिए दीपक को रखकर पुष्प या फिर पूजा वाले चम्मच से थोड़े से जल लेकर दीपक के चारों ओर दो बार घुमाकर जल को धरती में छोड़ दें. इसके बाद भगवान से अपनी भूल चूक के लिए माफी मांगे और परिवार के सदस्यों को आरती दें.
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शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु ने कहा है कि जो व्यक्ति घी के दीपक से आरती करता है, उसे स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है. कपूर से आरती करने वाले व्यक्ति को अनंत में प्रवेश मिलता है और जो व्यक्ति पूजा में होने वाली आरती के दर्शन करता है, उसे परम पद की प्राप्ति होती है.
स्कंद पुराण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा की संपूर्ण विधि नहीं जानता, लेकिन भगवान की हो रही आरती में श्रद्धा पूर्वक शामिल होता है तो उसकी पूजा स्वीकार होती है.
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