बुधवार की रात रमजान में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज (तरावीह) अदा की गई
रिपोर्ट-मो. महमूद आलम
नालंदा. ज़िले के सिलाव प्रखंड अंतर्गत बड़ाकर गांव में रोजा शुरू हो गया है. बुधवार की रात गांव के लोगों ने तरावीह की नमाज भी अदा की. हालांकि, गांव के आधे लोग भारत के इस क्षेत्र में चांद दिखे जाने के हिसाब से शुक्रवार से रोजा रखेंगे. बड़ाकर गांव में हर वर्ष दो दिन रोजा रखे जाने या इस प्रकार का मामला इस बार कोई पहली बार नहीं है. बल्कि, गांव के आधे लोग हर साल इस तरह से रमजान व अन्य त्योहार मनाते हैं. इतना ही नहीं, ईद व बकरीद का त्योहार भी इस गांव में एक दिन पहले मनाया जाता है.
सबसे हैरत की बात तो यह है कि हर दिन हर काम में साथ रहने वाले लोग त्योहारों के मौके पर एक-दूसरे से अलग नजर आते हैं. गांव के गुल मो. खान, तारिक अनवर, शौकत खान, गोल्डन खान, भोलू खान, लड्डन खान व अन्य ने बताया कि चांद दिखने या चांद दिखे जाने की खबर का जो इस्लामी तरीका है, हमलोग उसी हिसाब से त्योहार मनाते हैं. ये अलग बात है कि गांव अथवा जिले के अन्य जगहों के मुसलमान इस बात को नहीं मानते हैं.
आखों से चांद देखने के बाद ही मानते हैं त्योहार
नालंदा जिला के अलावा सूबे भर के लोग इस बात को मानते हैं कि जब वे अपनी आखों से चांद देख लेंगे, तभी रमजान का रोजा या फिर अन्य त्योहार मानएंगे. लेकिन, चांद देखे जाने के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है कि जब तक हम खुद से चांद न देखें तब तक रोजा नहीं रख सकते या फिर ईद अथवा बकरीद का त्योहार नहीं मना सकते हैं.
सऊदी अरब से ईद का कनेक्शन
उनलोगों ने बताया कि बुधवार की रात रमजान में पढ़ी जाने वाली विशेष नमाज (तरावीह) अदा की गई. उसके बाद गुरुवार की सुबह में इनलोगों ने सेहरी खाकर इस वर्ष का पहला रोजा रखा. इन लोगों ने कहा, ‘ इसी प्रकार, जिस दिन सऊदी अरब में ईद मनाया जाएगा.हमलोग भी उसी दिन ईद मनाएंगे. इसके लिए जिले के उलेमा-ए-दीन को चाहिए कि वे एक बैठक कर इस प्रकार के मसले का निदान करें या तो वे खुद हमलोगों की बातों को मान जाएं या फिर हम लोगों का दलील देकर साबित करें कि हम लोगों का ऐसा करना सही नहीं है’.
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