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शिंगणापुर में क्यों नहीं होती चोरी? बिना ताले के सुरक्षित है हर एक घर, शनिदेव की उत्पत्ति से जुड़ी है कहानी

ये पूरे विश्व में एकलौता ऐसा गांव है, जहां घरों में आज भी दरवाजे नहीं हैं.

ये पूरे विश्व में एकलौता ऐसा गांव है, जहां घरों में आज भी दरवाजे नहीं हैं.

शनि देव का नाम सुनते ही मन में डर उत्पन्न होने लगता है. शनि को न्याय के देवता माना जाता है. भारत देश में शनि देव के असं ...अधिक पढ़ें

हाइलाइट्स

शनि शिंगणापुर में शनि देव का बहुत प्राचीन मंदिर है.
सावन के महीने में बहुत तेज बारिश हुई थी, तभी वहां एक काले रंग की शिला बहकर आई थी.

Shani Shignapur : नवग्रहों में सबसे क्रूर ग्रह की संज्ञा शनि ग्रह को दी गई है. ऐसा उल्लेख मिलता है कि जिन लोगों पर भी इसका साया पड़ता है, वह लोग अपनी जिंदगी में पतन की तरफ जाते हैं. जिन लोगों पर शनिदेव की वक्री दृष्टि पड़ती है, उनका जीवन कठिन होता है. शनि देव को पुराणों में कर्मों का फल देने वाले देवता कहा जाता है. शनि देव अपने पिता सूर्य देव की तरह ही तेजस्वी और गुरु भगवान शिव की तरह गंभीर माने गए हैं. भारतवर्ष में शनि शिंगणापुर शनि देव के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि शनि देव की मूर्ति वहां कैसे स्थापित हुई? वहां चोरी क्यों नहीं होती? इस विषय पर अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

-शिंगणापुर में कैसे आई शनिदेव की प्रतिमा

शनि शिंगणापुर में शनि देव का बहुत प्राचीन मंदिर है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में बहुत अधिक बारिश की वजह से वहां का जलस्तर काफी बढ़ चुका था. तभी इस बारिश में बहते हुए एक काले रंग की विशाल शिला शिंगणापुर के तट पर पहुंची.

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मुखिया के सपने में आए

उसी रात शनिदेव उस गांव के मुखिया के सपने में आए और बताया कि शिला के रूप में वे स्वयं उस गांव में आए हैं. इस बात को सुनकर मुखिया प्रसन्न हुए और अगले दिन इस सपने के बारे में गांव के सभी लोगों को बताया. फिर उन सभी ने मिलकर बिना इंतजार किए शनिदेव को बैलगाड़ी में लेकर गांव के बीच में विराजमान किया, तब से यह प्रतिमा वहीं पर स्थापित है.

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-शिंगणापुर में क्‍यों नहीं होती चोरी

मान्यताओं के अनुसार जब से शिंगणापुर में शनि देव विराजमान हुए हैं, उसी दिन से वहां चोरी-डकैती जैसे वारदात नहीं हो पाए. ये पूरे विश्व में एकलौता ऐसा गांव है, जहां घरों में आज भी दरवाजे नहीं हैं. कई बार लोगों ने वहां चोरी करने की कोशिश की, लेकिन वे नाकाम हुए हैं और उन्हें उसका परिणाम भी भुगतना पड़ा.

Tags: Dharma Aastha, Religion, Shanidev

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