Shattila Ekadashi 2022: आज षटतिला एकादशी है. हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. षटतिला एकादशी पर तिल का 6 प्रकार से उपयोग किया जाता है. इस दिन तिल का दान करने से पुण्य प्राप्त होता है. शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा के दौरान षटतिला एकादशी व्रत की कथा का श्रवण करते हैं. व्रत के नियमों का पालन करते हुए अगले दिन पारण कर व्रत को पूरा किया जाता है. आइए जानते हैं षटतिला एकादशी की पूजा विधि (Puja Vidhi), मुहूर्त (Muhurat), मंत्र (Mantra), कथा (Katha) एवं पारण समय (Parana Time) के बारे में.
पंचांग के अनुसार, माघ कृष्ण एकादशी तिथि 28 जनवरी दिन शुक्रवार को है. इस दिन ध्रुव योग रात 09 बजकर 41 मिनट तक है. ऐसे में आप सुबह से षटतिला एकादशी व्रत की पूजा कर सकते हैं. षटतिला एकादशी व्रत के दिन शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक है.
सुबह में तिल वाले पानी से स्नान करने के बाद षटतिला एकादशी व्रत और भगवान विष्णु की पूजा का संकल्प लें. उसके बाद भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति एक चौकी पर स्थापित कर दें. उनका गंगाजल या पंचामृत से अभिषेक करें. उनको चंदन, पीले फूल, तुलसी का पत्ता, अक्षत्, केला, फल, बेसन के लड्डू या चने की दाल एवं गुड़, पीले वस्त्र, हल्दी, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते रहें.
यह भी पढ़ें: षटतिला एकादशी पर ऐसे करें तिल का प्रयोग, बढ़ेगा सुख और सौभाग्य
इसके बाद विष्णु सहस्रनाम, षटतिला एकादशी व्रत कथा का पाठ करें. पूजा के अंत में गाय के घी वाले दीपक या कपूर से भगवान विष्णु की आरती करें. पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें. दिनभर भगवत भजन और रात में जागरण करें. अगले दिन प्रात: स्नान के बाद पूजा करें और दान की वस्तुएं किसी गरीब या ब्राह्मण के लिए छूकर रख दें. उसके बाद पारण कर व्रत को पूरा करें.
षटतिला एकादशी 2022 पारण समय
आप षटतिला एकादशी का व्रत हैं, तो आपको पारण अगले दिन 29 जनवरी दिन सुबह 07:11 बजे से लेकर सुबह 09:20 बजे के बीच कर लेना
चाहिए.
यह भी पढ़ें: षटतिला एकादशी पर अवश्य पढ़ें यह व्रत कथा, तभी मिलेगा पूरा फल
षटतिला एकादशी संक्षिप्त व्रत कथा
एक ब्राह्मणी भगवान विष्णु की परम भक्त थी. उसने सभी व्रत नियम से किए थे, लेकिन कभी भी दान नहीं किया था. भगवान विष्णु जब उसके घर भिक्षा मांगने गए, तो उनको उसने मिट्टी के पिंड दे दिए. मृत्यु के बाद जब वह विष्णु लोक में गई तो उसे केवल एक खाली कुटिया और आम का एक पेड़ मिला. जिससे वह बहुत दुखी हुई.
तब भगवान विष्णु ने उसे बताया कि उसने कभी दान नहीं किया, उस पाप की ही सजा उसे यहां भोगनी पड़ रही है. तब उसने मुक्ति का उपाय पूछा. देव कन्याओं ने उसे षटतिला एकादशी व्रत के बारे में बताया. उसने षटतिला एकादशी व्रत विधिपूर्वक किया और तिल का दान किया, जिससे उसके पाप मिट गए.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें)
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu