कैलाश पर्वत पर नंदी ने रावण को श्राप दिया था. Image-Canva
हिंदू धर्म ग्रंथ रामायण में राम और रावण के युद्ध का वर्णन मिलता है. रावण भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त था और उसे भगवान शिव से कई वरदान प्राप्त थे. रावण ने ही शिव स्त्रोत की रचना की थी. नंदी भगवान शिव के प्रमुख गणों में एक हैं. वे भगवान शिव के प्रिय गण और वाहन हैं. एक समय नंदी और रावण की मुलाकात हुई तो नंदी ने रावण को श्राप दे दिया था. पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं यह कथा.
उपहास करने पर रावण को दिया श्राप
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार रावण शिव जी से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर गया. कैलाश पर्वत पर रावण ने नंदी को देखा और जोर-जोर से हंसने लगा. रावण ने नंदी से कहा कि तुम्हारा स्वरूप देखो कैसा है. तुम वानर की शक्ल जैसे लग रहे हो.
रावण के उपहास से नंदी को क्रोध आ गया और अपने अपमान के बदले रावण को श्राप दे दिया. नंदी ने कहा कि तुमने मेरा वानर कहकर उपहास उड़ाया है, एक दिन वानर ही तुम्हारे सर्वनाश का कारण होगा.
और रावण की हो गई मृत्यु
जैसा कि रामायण में उल्लेख है कि रावण ने कई बार महान पुरुषों का अपमान किया था. इसके कारण रावण को बहुत बार श्राप मिला था. नंदी का उपहास करने के कारण रावण को वानरों द्वारा सर्वनाश होने का श्राप मिला था.
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एक समय जब रावण सीता का हरण करके लंका में ले गया था. तब भगवान श्रीराम ने हनुमान जी को सीता जी को ढूंढने के लिए भेजा था. तब हनुमान जी ने माता सीता का पता लगाया था और हनुमान जी ने अशोक वाटिका उजाड़ दी थी.
इससे क्रोधित होकर रावण ने हनुमान जी को बंदी बना लिया था और हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी, तब हनुमान जी ने पूंछ से रावण की सोने की लंका को जला दिया था और बाद में रावण और श्रीराम के मध्य हुए युद्ध में रावण की मृत्यु हो गई थी.
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