Vaikuntha Chaturdashi 2020 Katha: बैकुंठ चतुर्दशी से भगवान विष्णु संभालेंगे सृष्टि, पढ़ें कथा

बैकुंठ चतुर्दशी व्रत कथा
Vaikuntha Chaturdashi 2020 Katha: भगवान शिव (God Shiva) बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को सृष्टि का सारा कामकाज दोबारा सौंपते हैं. आइए पढ़ते हैं बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा...
- News18Hindi
- Last Updated: November 28, 2020, 11:04 AM IST
Vaikuntha Chaturdashi 2020 Katha: आज 28 नवंबर शनिवार को बैकुंठ चतुर्दशी (Baikuntha Chaturdashi) मनाई जा रही है. भक्तों ने आज भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा है. बैकुंठ चतुर्दशी हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ मनाई जाती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. यह भी माना जाता है कि भगवान विष्णु चातुर्मास (आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक) तक सृष्टि का सम्पूर्ण कार्यभार भगवान शिव को देकर विश्राम करते हैं. जब देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जागते हैं तो सभी देवी-देवता इसकी ख़ुशी में देव दिवाली मनाते हैं. भगवान शिव बैकुंठ चतुर्दशी के दिन ही भगवान विष्णु को सृष्टि का सारा कामकाज दोबारा सौंपते हैं. आइए पढ़ते हैं बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा...
बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा:
बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात है नारद जी पृथ्वी लोक से घूमकर बैकुंठ धाम पंहुचते हैं.
भगवान विष्णु उन्हें आदरपूर्वक बिठाते हैं और प्रसन्न होकर उनके आने का कारण पूछते हैं.नारद जी कहते है- हे प्रभु! आपने अपना नाम कृपानिधान रखा है.इससे आपके जो प्रिय भक्त हैं वही तर पाते हैं.जो सामान्य नर-नारी है, वह वंचित रह जाते हैं.इसलिए आप मुझे कोई ऐसा सरल मार्ग बताएं, जिससे सामान्य भक्त भी आपकी भक्ति कर मुक्ति पा सकें.
यह सुनकर विष्णु जी बोले- हे नारद! मेरी बात सुनो, कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जो नर-नारी व्रत का पालन करेंगे और श्रद्धा-भक्ति से मेरी पूजा-अर्चना करेंगे, उनके लिए स्वर्ग के द्वार साक्षात खुले होंगे.
इसके बाद विष्णु जी जय-विजय को बुलाते हैं और उन्हें कार्तिक चतुर्दशी को स्वर्ग के द्वार खुला रखने का आदेश देते हैं.
भगवान विष्णु कहते हैं कि इस दिन जो भी भक्त मेरा थोडा़-सा भी नाम लेकर पूजन करेगा, वह बैकुंठ धाम को प्राप्त करेगा. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा:
बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार की बात है नारद जी पृथ्वी लोक से घूमकर बैकुंठ धाम पंहुचते हैं.
भगवान विष्णु उन्हें आदरपूर्वक बिठाते हैं और प्रसन्न होकर उनके आने का कारण पूछते हैं.नारद जी कहते है- हे प्रभु! आपने अपना नाम कृपानिधान रखा है.इससे आपके जो प्रिय भक्त हैं वही तर पाते हैं.जो सामान्य नर-नारी है, वह वंचित रह जाते हैं.इसलिए आप मुझे कोई ऐसा सरल मार्ग बताएं, जिससे सामान्य भक्त भी आपकी भक्ति कर मुक्ति पा सकें.
यह सुनकर विष्णु जी बोले- हे नारद! मेरी बात सुनो, कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जो नर-नारी व्रत का पालन करेंगे और श्रद्धा-भक्ति से मेरी पूजा-अर्चना करेंगे, उनके लिए स्वर्ग के द्वार साक्षात खुले होंगे.
इसके बाद विष्णु जी जय-विजय को बुलाते हैं और उन्हें कार्तिक चतुर्दशी को स्वर्ग के द्वार खुला रखने का आदेश देते हैं.
भगवान विष्णु कहते हैं कि इस दिन जो भी भक्त मेरा थोडा़-सा भी नाम लेकर पूजन करेगा, वह बैकुंठ धाम को प्राप्त करेगा. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)